Places To Visit In Mathura

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Places To Visit In Mathura
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1श्री कृष्ण जन्मभूमि / Shri Krishna Janmabhoomi

Shri Krishna Janamsthan Temple Mathura
Shri Krishna Janamsthan Temple Mathura

श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में ही भगवान श्री कृष्णा का जन्म हुआ था। इसी करना इस मंदिर का नाम श्री कृष्णा जन्मभूमि हुआ। इस मंदिर का निर्माण 1814 में हुआ था। ऐसा माना जाता है, की श्री कृष्ण जन्मभूमि में भगवान श्री कृष्णा की 4 मीटर लंबी और ठोस सोने से बनी हुई मूर्ति हुआ करती थी। जिसे महमूद ग़जनी आक्रमण करके चुरा ले गया था। पूरे साल यहाँ पर भगतो का आना जाना लगा रहता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर भगतो का विशेष आगमन होता है।

2श्री द्वारकाधीश मंदिर / Shri Dwarkadhish Temple

Shri Dwarkadhish Maharaj Dev Uthani Ekadashi Darshan
Shri Dwarkadhish Maharaj Dev Uthani Ekadashi Darshan

श्री द्वारकाधीश मन्दिर मथुरा नगरी के बीचोबीच, यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। श्री राजा अधिराज जी के छत और दीवारो पर सुन्दर चित्रो के द्वारा श्री राजा अधिराज के अन्य रूपों को दर्शाया गया है। और भगवान श्री कृष्णा की अनेको लीलाओं का चित्रण किया गया है। जिन्हे देख कर ऐसा लगता है जैसे हम द्वापरयुग मैं ही आ गये हो। श्री द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण सेठ श्री गोकुल दास पारीक ने सन 1814 मैं कर बाँया था।

3श्री यमुना महारानी – विश्राम घाट / Shri Yamuna Maharani – Vishram Ghat

Vishram Ghat Mathura
Vishram Ghat Mathura

श्री मथुरा जी में कुल 25 घाट है। जिन में से श्री विश्राम घाट प्रमुख घाट है। मान्यता है की भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी ने अपने मामा कंस का वध करने के बाद इसी घाट पर विश्राम क्या था। इसी करना इस घाट का नाम विश्राम घाट हुआ। संध्या के समय श्री यमुना महारानी जी की भव्य आरती इसी घाट पर होती है। इस आरती में पांच पडित, पाच भव्य आरती से माँ श्री यमुना महारानी की आरती करते है।

4श्री भूतेश्वर महादेव मंदिर / Shir Bhuteshwar Mahadev Temple

Shri Bhuteshwar Mahadev Temple Mathura
Shri Bhuteshwar Mahadev Temple Mathura

श्री भूतेश्वर महादेव मन्दिर श्री मथुरा जी के भूतेश्वर चौराहे पर स्थित है। श्री भूतेश्वर महादेव मन्दिर में महादेव जी का अतिप्राचीन महादेव लिंग स्थापित है। जब मधु दानव की पराजय के पश्चात, मथुरा नगरी की स्थापना के समय श्री भूतेश्वर महादेव जी की स्थापन भी की गई थी। तभी से ये मन्दिर यहा पर स्थित है। श्री भूतेश्वर महादेव जी को मथुरा नगरी का क्षेत्रपाल भी कहा जाता है।

5श्री गोकर्ण महादेव मंदिर / Gokarna Mahadev Temple

Shri Gokarna Mahadev Temple Mathura
Shri Gokarna Mahadev Temple Mathura

एक ऋषि ने श्री गोकर्ण जी के माता पिता को पुत्र प्रप्ति के लिए एक फल दिया और कहा इस फल को खा कर आप को एक परम ज्ञानी पुत्र की प्रप्ति होगी। श्री गोकर्ण जी की माता धुंदली को ऋषि की बातों पर विश्वास नही हुआ और धुंदली ने उस फल को अपनी गाय को खीला दिया। गाय की द्वारा फल खाने के पश्चात, गाय के कान से श्री गोकर्ण महादेव जी का जन्म होता है। गाय के कान से जन्म होने के कारण इन महादेव जी का नाम गो + कर्ण, गोकर्ण हुआ।

6श्री रंगेश्वर महादेव मंदिर / Shri Rangeshwar Mahadev Temple

Shri Rangeshwar Mahadev Temple Mathura
Shri Rangeshwar Mahadev Temple Mathura

श्री रंगेश्वर महादेव मंदिर मथुरा के दक्षिणी भाग में स्थित हैं। मान्यता है की द्वारपर युग में महाराज कंस ने भगवान श्री कृष्ण और भईया बलराम को मरने के लिए, यही पर रंगशाला का निर्माण करबाया था। श्री रंगेश्वर मंदिर में ही भगवान महादेव का धनुष था जिसे भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा आगमन पर तोडा था। यह वही धनुष था जिसे बड़े बड़े वीर हिला भी न सके थे।

7श्री गर्तेश्वर महादेव मंदिर / Shri Galteshwar Mahadev Temple

Galteshwar Mahadev Temple Mathura
Galteshwar Mahadev Temple Mathura

मथुरा में यह मन्दिर कृष्ण जन्मभूमि के पीछे मल्लपुरा में स्थित है। यह मथुरा का प्राचीन मन्दिर है। गर्तेश्वर महादेव को पूर्वी सीमा का क्षेत्रपाल माना जाता है । बोलचाल में इसे “गल्तेश्वर” महादेव भी कहते हैं।

8माँ चामुण्डा मंदिर / Maa Chamunda Temple

Maa Chamunda Ji Temple Mathura
Maa Chamunda Ji Temple Mathura

51 शक्तिपीठों में से प्रधान शक्तिपीठ बताई जाने वाली माँ चामुण्डा का मंदिर मथुरा-वृन्दावन मार्ग पर स्थित माँ गायत्री तपोभूमि के सामने बना हुआ है। इस मंदिर का वर्णन श्रीमद्भागवत में भी सुनने को मिलता है। बताते है की सतयुग के इस मंदिर मे श्री कृष्ण ने अजगर को मुक्ति देने के बाद माँ चामुंडा के दर्शन किये थे। इस मंदिर में विराजमान मां चामुण्डा नन्द बाबा की कुल देवी बताई जाती है।

9माँ गायत्री तपोभूमि / Maa Gayatri Tapobhumi

Maa Gayatri Tapobhumi Temple Mathura
Maa Gayatri Tapobhumi Temple Mathura

वृंदावन मार्ग, मथुरा पर गायत्री तपोभूमि स्थित है। वेदमूर्ति पंडित श्री राम आचार्य ने 30.05.1953 से 22.06.1953 तक उपवास (मात्र गंगाजल लेकर) किया तथा वेदमाता, देवमाता, विश्वमाता गायत्री की स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा की । यह विश्व का प्रथम गायत्री मंदिर है। संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लाख गायत्री मंत्र जप के 24 महापुराण संपन्न किये थे। और अपनी कठोर तप साधना से इस पुण्य भूमि के संस्कारों को पुनः जाग्रत किया।

10गीता मंदिर – बिरला मंदिर / Geeta Mandir – Birla Mandir

Birla Mandir, Geeta Temple Mathura
Birla Mandir, Geeta Temple Mathura

गीता मंदिर को बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। गीता मंदिर में गीता के सभी अध्यायों को एक लठे पर अंकित किया गया है। इस मंदिर का निर्माण भारत के प्रसिध बिज़नस ग्रुप बिरला ग्रुप ने करवाया है। मंदिर का निर्माण अन्य बिरला मंदिरों के जैसे ही किया गया है। मंदिर का निर्माण एवं वातावरण बहुत ही मनमोहक है। इस मंदिर के खूबसूरत नक्काशी और चित्रकला, मंदिर की सुन्दरता को और अधिक बढ़ाते है। मंदिर जन्माष्टमी और होली के शुभ अवसर पर खूबसूरती से सजाया है।

11जय गुरुदेव मंदिर / Jai Gurudev Mandir

Jai Gurudev Mandir Mathura
Jai Gurudev Mandir Mathura

जय गुरुदेव मंदिर मथुरा के नेशनल हाईवे 2 पर स्थित है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर ताजमहल जैसा प्रतीत होता है। इस मंदिर का निर्माण बाबा जय गुरुदेव जी ने सन 1962 करवाया था। बाबा जय गुरुदेव का वास्तविक नाम तुलसीदास है। बाबा जय गुरुदेव अपने प्रत्येक कार्य में अपने गुरुदेव का स्मरण कर जय गुरुदेव का उद्घोष करते हैं इसलिए वह बाबा जय गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध हो गये। बाबा जय गुरुदेव प्रति वर्ष अपने सदगुरुदेव श्री घूरेलाल जी महाराज की पुण्य स्मृति में प्रति वर्ष गुरु पूर्णिमा पर्व पर आध्यात्मिक मेले का आयोजन करते हैं।

12राजकीय संग्रहालय / Government Museum

Government Museum Mathura
Government Museum Mathura

मथुरा के राजकीय संग्रहालय से मथुरा के इतिहास की अधिक जानकारी ली जा सकती है। मथुरा संग्रहालय मथुरा की अनूठी कलाकृतियों में से कुछ को उजागर करता है और यह शहर में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। राजकीय संग्रहालय की स्थापना 1874 में की गई थी। राजकीय संग्रहालय में विभिन्न कलाकृतियों के अलावा कुषाण, सोना, तांबा और चांदी के सिक्के, मिट्टी मॉडल, प्राचीन बर्तन और चित्रों का संग्रह दर्शाया गया है।

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