Places to Visit in Vrindavan

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Places to Visit in Vrindavan
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1श्री बांके बिहारी मन्दिर / Shri Banke Biahri Temple

Shri Banke Bihari Charan Darshan Akshay Tritiya
Shri Banke Bihari Charan Darshan Akshay Tritiya

बांके बिहारी मंदिर मथुरा ज़िले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत 1921 के लगभग किया गया। श्रीहरिदास स्वामी विषय उदासीन वैष्णव थे। उनके भजन–कीर्तन से प्रसन्न हो निधिवन से श्री बाँकेबिहारीजी प्रकट हुये थे। निकुंज वन में ही स्वामी हरिदासजी को बिहारीजी की मूर्ति निकालने का स्वप्नादेश हुआ था। तब उनकी आज्ञानुसार मनोहर श्यामवर्ण छवि वाले श्रीविग्रह को धरा को गोद से बाहर निकाला गया। यही सुन्दर मूर्ति जग में श्रीबाँकेबिहारी जी के नाम से विख्यात हुई यह मूर्ति मार्गशीर्ष, शुक्ला के पंचमी तिथि को निकाला गया था। अतः प्राकट्य तिथि को हम विहार पंचमी के रूप में बड़े ही उल्लास के साथ मानते है।

2इस्कॉन मन्दिर – श्री कृष्ण बलराम मंदिर / Iskcon Temple – Shri Krishna Balram Temple

Akshaya Tritiya Sringar Iskcon Temple Vrindavan
Shri Radha Krishna Ji Darshan Iskcon Temple Vrindavan

वृन्दावन के आधुनिक मन्दिरों में यह एक भव्य मन्दिर है। इसे अंगेज़ों का मन्दिर भी कहते हैं। केसरिया वस्त्रों में हरे रामा–हरे कृष्णा की धुन में विदेशी महिला–पुरुष यहाँ देखे जाते हैं। मन्दिर में राधा कृष्ण की भव्य प्रतिमायें हैं। इस मंदिर का निर्माण भक्ति वेदांत स्वामी श्री प्रभुपद जी ने कर बाया था। इस मंदिर में देश विदेश से भक्त यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी के दर्सनो के लिये आते है।

3निधिवन वृंदावन / Nidhivan Vrindavan

Nidhivana Vrindavan
Nidhivana Vrindavan

वृंदावन स्तिथ निधि वन जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते है। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। संध्या आरती निधिवन में कोई नहीं रहता है यहाँ तक की निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते है। इसी निधिवन में भगवान श्री कृष्ण ने राधा रानी और अन्य गोपिंयों के साथ अलौकिक रास रचाया था। यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता है।

4श्री रंगनाथ मंदिर / Shri Rangnath Temple

Shri Rang Nath Ji Temple Vrindavan Main Gate
Shri Rang Nath Ji Temple Vrindavan Main Gate

श्री रंगनाथ मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है। भगवान विष्णु जी के साथ माँ लक्ष्मी जी भी विराज मान है। भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी जी के साथ-साथ भगवान नरसिंह, सीता-राम और लक्ष्मण, वेणुगोपाल और रामानुजाचार्य जी की भी पूजा मंदिर में की जाती है। श्री रंगनाथ मंदिर का निर्माण सेठ श्री राधा कृष्णा और सेठ श्री गोवेर्धनदास जी ने करवाया था। इस मंदिर का निर्मण 1845 में प्रारम्भ हुआ था और 1851 में समाप्त हुआ।

5प्रेम मंदिर / Prem Mandir

Prem Mandir Vrindavan
Prem Mandir Vrindavan

प्रेम मंदिर 54 एकड़ में बना हुआ है। यह मंदिर 125 फुट ऊंचा, 122 फुट लंबा और 115 फुट चौड़ा है। यहाँ पर मन को मोह लेने वाले बगीचे, फव्वारे, श्रीकृष्ण और राधा की मनोहर झांकियां, श्रीगोवर्धन धारणलीला, कालिया नाग दमनलीला, झूलन लीलाएं बहुत ही सुन्दरता से दिखाई गई हैं। प्रेम मंदिर में श्रीकृष्ण और राधारानी की भव्य मूर्तियां है। इसे कृपालुजी महाराज ने बनवाया था। इस मंदिर का निर्माण 2001 में प्रारभ हुआ था और 11 सालो के बाद 2012 में पूरा हुआ।

6गरुंड गोविन्द मंदिर / Garud Govind Temple

Shri Garud Govind Ji Temple Vrindavan
Shri Garud Govind Ji Temple Vrindavan

गरुड़ गोविंद मंदिर दुनिया में भगवान कृष्ण के सबसे पवित्र और सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है। यहाँ पर भगवान गरुण गोविन्द जी माँ लक्ष्मी जी के साथ में विराजमान है। इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्णा के महान पोते श्री वज्रनाभ जी ने करवाया था। भगवान श्री गोविन्द जी बारह हथियार के साथ गरुड़ जी की पीठ पर सवारी कर रहे है। भगवान गोविन्द जी का यह एक बहुत ही अद्भुत दर्सन है। इसी दर्सन के कारण भगवान का नाम श्री गरुंड गोविन्द हुआ। श्री गरुंड गोविन्द जी मंदिर काल सर्प अनुष्ठान के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

7श्री राधा गोपीनाथ जी मन्दिर / Shri Radha Gopinath Ji Temple

Shri Gopinath Ji Temple Vrindavan
Shri Gopinath Ji Temple Vrindavan

श्री गोपीनाथ मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है। सर्वप्रथम इस मंदिर का निर्माण 1632 में बीकानेर के राजा कल्याणमाला के पुत्र राजा राय सिंह ने करवाया था। औरंगजेब के आक्रमण के समय श्री गोपीनाथ जी और अन्य विग्रहों को जयपुर पहुचा दिया गया था। औरंगजेब इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। 1748 में फिर से श्री गोपीनाथ जी की स्थापना इस मंदिर में की गई। श्री गोपीनाथ जी के नये मंदिर का निर्माण 1819 में किया गया। श्री गोपीनाथ मंदिर में भगवान गोपीनाथ जी के बाई और जाह्नव ठाकुरानी विराजमान है। और दाई तरफ ललिता सखी और राधिका जी विराजमान है। महाप्रभु श्री गौरसुंदारा एक अलग कक्ष में विराजमान है।

8जयपुर मंदिर / Jaipur Mandir

Jaipur Mandir Vrindavan
Jaipur Mandir Vrindavan

जयपुर मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराज सवाई माधव जी ने 1917 में बनवाया था। जयपुर मंदिर को बनने में 30 साल का कठिन परिश्रम लगा था। यह मंदिर वृंदावन के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है। यह कुछ ही लोग जानते है के मंदिर का पत्थर और दुसरे सामान को लाने-ले जाने के लिए मथुरा, वृंदावन के लिए ट्रेन का निर्माण करवाया था। जयपुर मंदिर में भगवान श्री श्री राधा माधव जी, आनंद बिहारी जी और हंसा गोपाल जी बिराजमान है।

9श्री जुगलकिशोर जी मन्दिर / Shri Jugal Kishore Temple

Shri Jugal Kishor Ji Temple Vrindavan
Shri Jugal Kishor Ji Temple Vrindavan

श्री जुगलकिशोर जी मंदिर वृंदावन के चार पुराने मंदिरों में से एक है। यह मंदिर केशी घाट के पास शहर के निचले छोर पर स्थित है। श्री जुगलकिशोर मंदिर को केशी घाट मंदिर भी पुकारा जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1627 में हुआ था। इसका निर्माणकर्त्ता नानकरन था। इसका जगमोहन दूसरे मन्दिरों के जगमोहन की अपेक्षा कुछ बड़ा है जो 25 वर्गफीट का है,द्वार पूर्व को है। किन्तु उत्तर और दक्षिण में भी छोटे-छोटे द्वार हैं। गर्भग्रह नष्ट हो चुका था।

10माँ कात्यायनी मंदिर / Maa Katyayani Temple

Maa Katyayani Mandir Vrindavan
Maa Katyayani Mandir Vrindavan

कात्यायनी मंदिर का निर्माण 1923 में योगिराज स्वामी केशवानंद बरमचारी जी ने करवाया था। अपने गुरु लाहिड़ी महासय के आदेश पर श्री वृंदावन में आकर श्री कात्यायनी मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यहाँ पाँच पाँच संप्रदायों के अलग-अलग देवताओं की उनके सम्प्रदाय के अनुसार पूजा की जाती है। कात्यायनी मंदिर में माँ कात्यायनी जी के मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवी देवतायो की मूर्तियां भी स्थापित है। जैसे भगवान शिव, भगवान लक्ष्मी नारायण, भगवान श्री गणेश और भगवान सूर्य की मुर्तिया स्थापित है। और इन सभी देवी देवतायो की पूजा उनके सम्प्रदाय के अनुसार पूजा की जाती है।

11श्री मदनमोहन मंदिर / Shri Madan Mohan Temple

Sri Madan Mohan Temple Vrindavan
Sri Madan Mohan Temple Vrindavan

प्राचीनता में यह मंदिर गोविन्द देव जी के मंदिर के बाद आता है। इस मंदिर का निर्माण 1590 से 1627 के बीच हुआ था। प्रचलित कथाओं में आता है कि राम दास खत्री (कपूरी नाम से प्रचलित) व्यापारी की व्यापारिक सामान से लदी नाव यहाँ यमुना में फंस गयी थी। जो मदन मोहन जी के दर्शन और प्रार्थना के बाद निकली। अपने व्यापार से वापस आने पर रामदास जी ने श्री मदनमोहन जी मंदिर बनवाया। श्री मदनमोहन जी का मंदिर वृंदावन में कालीदह घाट के समीप शहर के दूसरी ओर ऊँचे टीले पर विद्यमान है।

12पागल बाबा मंदिर / Pagal Baba Temple

Pagal Baba Temple Vrindavan
Pagal Baba Temple Vrindavan

पागल बाबा मंदिर मथुरा, वृंदावन मार्ग पर स्थित है। पागल बाबा मंदिर फूल की आकृति में एक विशाल संगमरमर का मंदिर है, जो देखने में बहुत सुंदर है। पागल बाबा मंदिर में दस मंजिले है और हर मंजिल पर आप भगवान के दर्सन करते हुए चढ़ते जाते है। यह एक ऐसे भक्त की कहानी है जो कभी जज हुआ करता था। जो भगवान श्री बाँकेबिहारी जी के लिए अपना सर्वश छोड़ आया। और आगे चल कर पागल बाबा के नाम से प्रसिद हुआ।

13श्री राधा दामोदर मंदिर / Shri Radha Damodar Temple

Shri Radha Damodar Temple Vrindavan
Shri Radha Damodar Temple Vrindavan

श्री राधा दामोदर मंदिर की स्थापना 1542 में श्री रूप गोस्वामी जी के शिष्य श्री जीव गोस्वामी जी ने वृंदावन नगर के सेवाकुंज में की थी। मूल श्री राधादामोदर जी का विग्रह जयपुर में विराजमान हैं। उनकी प्रतिभू विग्रह स्वरूप वृन्दावन में विराजमान है। श्री राधादामोदर जी साथ सिंहासन में श्री वृन्दावनचन्द्र, श्री छैलचिकनिया, श्री राधाविनोद और श्री राधामाधव आदि विग्रह विराजमान हैं। सभी यात्री श्री राधा दामोदर जी तथा गिरिराजजी की शिला की परिक्रमा लगाकर के अति आनंद लाभ प्राप्त करते हैं। स्वामी प्रभुपाद महाराज ने सर्वप्रथम भगवान श्री कृष्ण की आराधना श्री राधा दामोदर मंदिर में ही की थी। इस्कोन की स्थापना की और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का प्रचार पूरे संसार में किया।

14श्री राधा गोविन्द मंदिर / Shri Radha Govind Temple

Govind Devji Temple
Shri Govind Devji Darshan

श्री राधा गोविंदा मंदिर का निर्माण 1570 में श्री रघुनाथ भट और उनके शिष्यों के मार्गदर्शन में जयपुर के राजा श्री मान सिंह जी ने करवाया था। और श्री राधा गोविन्द मंदिर की स्थापना श्री श्रीला रूपा गोस्वामी जी ने श्री चेतन्य महाप्रभु के निर्देशानुसार की थी। और कहा था के श्री वृंदावन के सभी पवित्र स्थानों को खोजा जाये। 5000 साल पहले भगवान श्री कृष्ण की पौत्र श्री वज्रानाबा ने भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों का निर्माण करवाया था। श्री राधा गोविन्द जी मंदिर उन्ही मंदिरों में से एक है।

15श्री राधारमण मन्दिर / Shri Radharaman Temple

Shri Radha Raman Temple Vrindavan
Shri Radha Raman Ji Darshan Vrindavan

श्री राधारमण जी मन्दिर वृंदावन के प्रसिद मंदिरों में से एक है। श्री राधारमण जी मन्दिर की स्थापना श्री गोपालभट्ट गोस्वामी जी ने की थी। माना जाता है की श्री राधारमण जी स्वमं अवतरित देवता है। श्री राधारमण जी 1599 में वैशाख शुक्ला पूर्णिमा की तिथि में श्री सलेग्राम भगवान की शिला से, अपने भक्त श्री गोपालभट्ट जी के प्रेम वशीभूत हो, श्री वृंदावन धाम में श्री राधारमण विग्रह के रूप में अवतरित हुए। राधारमणजी के साथ श्रीराधाजी का विग्रह नहीं है। परन्तु उनके वाम भाग में सिंहासन पर गोमती चक्र की पूजा होती है।

16श्री श्री राधा श्यामसुंदर / Shri Shri Radha Shyamsundar Temple

Shri Shri Radha Shyamsundar Temple Vrindavan
Shri Shri Radha Shyamsundar Temple Vrindavan

श्री राधादामोदर मन्दिर के पास ही श्री श्यामसुन्दर जी का मन्दिर भी स्थित है। श्री श्यामसुन्दर मंदिर में श्री राधा श्यामसुन्दर जी विग्रह के दर्शन अत्यन्त सुन्दर हैं। माना जाता है की श्री श्यामसुन्दर जी, श्री राधा रानी जी के ह्रदय से प्रकट हुये है। श्री श्यामसुन्दर मंदिर के मुख्य द्वार पर लिखा है केवल देवता श्री राधा रानी के दिल से प्रकट। श्री श्यामसुन्दर मंदिर के सेवा श्री वेदान्ताचार्य श्री बलदेव विद्याभूषण जी किया करते थे। श्री राधा श्यामसुन्दर जी वृंदावन में तीन नामो से जाने जाते है। श्री श्री लाला लाली, श्री श्री राधा कुंजबिहारी और श्री श्री राधा श्यामसुन्दर जी।

17शाहजी मंदिर / Shahji Temple

Shahji Temple Vrindavan
Shahji Temple Vrindavan

शाह बिहारी जी मन्दिर जी मंदिर अपनी वास्तुकला , चित्रकला और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है। श्वेत संगमरमर से बने इस अत्यन्त आकर्षक मन्दिर की विशेषता है कि इसके खम्बे सर्पाकार में एक ही पत्थर की शिला से बने हैं। शाहजी मंदिर को टेढ़े खम्बो वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। शाहजी मंदिर अपने वसंती कमरे के लिये भी बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण लखनऊ के सेठ श्री कुन्दनलाल शाह ने 1835 में करवाया था। सेठ श्री कुंदनलाल जी श्री चैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त थे। यहां लोग पूजा के लिए तो आते ही हैं, साथ ही इसकी उत्कृष्ट बनावट को देखने के लिए भी लोग आते हैं। यह मंदिर एक महल की तरह बना है और यह मंदिर श्री राधा रानी व भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है।

18श्री राधावल्लभ जी मन्दिर / Shri Radha Vallabh Ji Temple

Shri Radhavallabh Lal Ji Temple Vrindavan
Shri Radhavallabh Lal Ji Temple Vrindavan

श्री राधावल्लभ जी मन्दिर वह ही मंदिर है। जहां खुद भगवान श्री कृष्ण राधामयी हो जाते हैं। राधा में कृष्ण और कृष्ण में राधा नजर आती हैं। वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर में यह नजारा आज भी जीवित है। श्री राधावल्लभ जी मंदिर में राधावल्लभ विग्रह के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। श्री राधावल्लभ जी मन्दिर बहुत ही सुन्दर मन्दिर है। इसके भवन का सौंदर्य और शिल्प लगभग गोवर्धन के हरदेव मन्दिर के जैसा है। ऊपर और नीचे का भाग हिन्दू शिल्प का है और मध्य का भाग मुस्लिम शिल्प का। श्री राधावल्लभ जी मंदिर का निर्माण 1585 में हुआ था।

19श्री गोपेश्वर महादेव मन्दिर / Shri Gopeshwar Mahadev Temple

Shri Gopeshwar Mahadev Temple Vrindavan
Shri Gopeshwar Mahadev Temple Vrindavan

श्री वृन्दावन स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर बहुत ही प्राचीन शिव मन्दिर है। और श्री वृंदावन में श्री गोपेश्वर महादेव मंदिर की बहुत मान्यता है। कहा जाता है कि जब भगवान शंकर जी की इच्छा भगवान श्री कृष्ण जी की रासलीला देखने की हुए तो वे गोपी का रूप धारण कर वृन्दावन आये उसी स्मृति में गोपेश्वर महादेव मन्दिर बनाया गया है।

20श्री श्री राधा गोकुलानंद जी मंदिर / Shri Shri Radha Gokulananda Ji Temple

Shri Shri Radha Gokulananda Ji Temple Vrindavan
Shri Shri Radha Gokulananda Ji Temple Vrindavan

श्री श्री राधा गोकुलानंद जी का मंदिर केसी घाट और श्री राधारमण जी मंदिर के बीच में स्थित है। श्री श्री गोकुलानंद मंदिर की स्थापना श्री शिरला विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर, श्री राधा विनोद भगवान की स्थापना श्री शिरला लोकनाथ गोस्वामी जी ने की थी और श्री राधा विजय गोविंदा जी की स्थापना श्री शिरला बलदेव विद्याभुसन जी ने की थी। अन्य सभी भगवानो की तरह श्री श्री राधा गोकुलानंद जी का मुख्य दर्सन जयपुर में है। श्री वृंदावन धाम में श्री श्री गोकुलानंद जी के प्रतिभूत विग्रह की सेवा होती है।

21माता वैष्णो देवी मंदिर / Maa Vaishno Devi Temple

Maa Vaishno Devi Temple Vrindavan
Maa Vaishno Devi Temple Vrindavan

माता वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण श्री जे. सि. चोधरी जी ने 2010 में करवाया। जे. सि. चोधरी जी मां वैष्णो को अपना प्रेरणा स्रोत मानते हैं। इस मंदिर से सटा एक आश्रम भी हैं जहां कोई भी श्रद्धालु आकर रुक सकता है। बताया जाता है की मां वैष्णो की मूर्ति जमीन से 141 फीट ऊंची है। इसमें देवी मंदिर, दर्शन गुफा, लंगर हॉल, फ्री डिस्पेंसरी, आध्यात्मिक हॉल और लाइब्रेरी बनाया गया है।

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