श्री बांके बिहारी जी चौखट पूजन सेवा
ठाकुर श्री बांके बिहारी जी मंदिर के आंतरिक मुख्य द्वार के पूजन का बहुत महत्व है। यह प्रवेश द्वार मंदिर का अहम स्थान है। कहते हैं कि आरंभ अच्छा तो अंत अच्छा। जिस तरह भवन निर्माण से पूर्व भूमि पूजन किया जाता है। उसी तरह प्रथम पूजा बिहारी जी मंदिर की चौखट यानी देहली पूजन, पूरे विधि विधान से संपन्न होती है। जिसमें नियम पूर्वक पूजन के साथ प्रसाद वितरण आदि अनेक कार्य होते हैं।
आपके घर में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहे इसके लिए बिहारी जी की देहली पर पूजन के क्रम में स्वस्तिक का चिन्ह भी बनाया जाता है। इसके साथ शुभ-लाभ का चिह्न बनाना धनात्मक ऊर्जा का सूचक है। मुख्य द्वार के ऊपर की ओर वंदनवार लगाई जाती है। यदि यह वंदनवार अशोक वृक्ष के पत्तों से बनी उपलब्ध हो तो और ज्यादा लाभ मिलता है। अगर यह संभव ना हो तो बाजार से उपलब्ध वंदनवार को लगा दिया जाता है। साथ ही रंगोली बना कर इसे और भी सुंदर और शुभ बनाया जाता है।
श्री बांके बिहारी जी मंदिर के गर्भ ग्रह में देहली ( चांदी की चौखट ) पूजन के बिना संपूर्ण पूजाएं अधूरी समझी जाती हैं।
ठाकुर श्री बांके बिहारी जी के देहली पूजन सेवा से मिलने वाले विशेष लाभ, जीवन में से नकारात्मकता समाप्त हो जाती है, परिवार में कोई भी फूट नहीं रहती, न ही घर में शत्रु का प्रवेश होता है यानी कम शब्दों मैं कहें तो असली सुख शांति एवं समृद्धि आपके जीवन में स्थाई हो जाती है।
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