Shri Haridev Ji Temple Govardhan

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Darshan Shri Thakur Haridev Ji Maharaj, Govardhan
Darshan Shri Thakur Haridev Ji Maharaj, Govardhan

श्री हरिदेव जी मंदिर गोवर्धन

ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप चार देव विराजमान हैं

पहले मथुरा में श्रीकेशवदेव जी, दूसरे वृंदावन में श्रीगोविन्ददेव जी, तीसरे दाऊजी में श्रीबल्देव जी और चौथे गोवर्धन में ठाकुर श्रीहरदेव जी।

ठाकुर श्रीहरिदेव जी महाराज का मंदिर अपने आप में भव्य एवम दिव्यता से परिपूर्ण प्राचीन मंदिर है। सात कोस, चौदह मील, इक्कीस किलोमीटर की ठाकुर श्रीगोवर्धन गिरिराज जी की परिक्रमा के लिए आने वाले भक्तों को मंदिर का दर्शन करना अति आवश्यक है।

Mandir Shri Thakur Haridev Ji Maharaj Govardhan
Mandir Shri Thakur Haridev Ji Maharaj Govardhan

हरिदेव स्वरूप प्राकट्य की सुंदर कथा

एक बार भगवान श्रीकृष्ण सभी गोपियां और राधा रानी के साथ क्रीड़ा (खेल) कर रहे थे। लेकिन जब श्रीकृष्ण जी को अत्यधिक समय तक देखा नहीं तो श्रीराधा जी सहित सभी गोपियां भगवान श्रीकृष्ण को “हरिदेव – हरिदेव – हरिदेव” के नाम से पुकारने लगीं। तभी सबने देखा कि सामने अपना बायां हाथ उठाए एक देव के रूप में श्रीकृष्ण प्रकट हुए मानो बृजवासियों को मेघ के देवता देवराज इंद्र की मूसलाधार घनघोर बारिश से बचाने के लिए गोवर्धन गिरिराज जी पर्वत को उठा रहे हों। इस सुंदर स्वरूप को देख समस्त ब्रजवासी हर्ष से भर गए और तभी से इस सुंदर स्वरूप श्रीहरदेव प्रभु की पूजा – सेवा करने लगे। उसी परंपरा को आज भी गोस्वामी समाज पूर्ण भाव के साथ पालन कर रहा है।

भगवान श्रीकृष्ण के वंशज राजा वज्रनाभ जी द्वारा भी इन चार भव्य मंदिरों का निर्माण कराया गया।

गोविंददेव, वृंदावन
बलदेव, महावन
केशवदेव, मथुरा
और हरिदेव, गोवर्धन

Darshan Shri Thakur Haridev Ji Maharaj Govardhan
Darshan Shri Thakur Haridev Ji Maharaj Govardhan

परंतु इतिहास के अनुसार ठाकुर श्री हरिदेव जी के प्राकट्य से करीब सौ वर्ष पश्चात वज्रनाभ जी ने इन मंदिरों का भव्य निर्माण कराया। लेकिन फिर समय के साथ मंदिर जीर्ण अवस्था को प्राप्त हो गया और करीब 4500 साल बाद 16वीं सदी की शुरुआत में एक खुदाई में यह देव की प्राप्ति हुई। और तब कुछ साल बाद राजा भगवान सिंह ने ठाकुर श्रीहरिदेव जी महाराज का भव्य मंदिर का निर्माण कराया।

सन1670 ब्रज में मंदिरों की महिमा को जान, दिल्ली के मुस्लिम तानाशाह शासक औरंगजेब ने मंदिरों को लूटने और समूल ध्वस्त करने के लिए अपनी विशेष सेना योजना बनाकर भेजी। सेना ने मथुरा इलाके के विभिन्न मंदिरों सहित ठाकुर श्रीहरिदेव जी मंदिर को लूटने का प्रयास किया। तभी तत्कालीन राजपूत राजाओं ने वैष्णव – भक्तों की मदद और गुप्त रूप से रूपरेखा तैयार कर देवताओं के श्री विग्रह को राजस्थान और अन्य हिंदू राज्यों में भेज दिया।

श्री श्रीनाथ प्रभु को राजस्थान में श्रीनाथद्वारा, उदयपुर भेजा और केशवदेव जी के साथ ठाकुर श्रीहरिदेव जी को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रसधान शहर के निकट बधौली गाँव में पहुंचाया गया। तभी से हरिदेव जी की प्राकृतिक मूर्ति की पूजा मानसी गंगा के तट पर भव्य मंदिर में की जा रही है।

Shri Haridev Ji Temple Govardhan Address and Location with Google Map

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