श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर मथुरा
इसमे कोई शक नहीं है कि मथुरा नगरी तीनो लोको से प्यारी है। मथुरा बासी तो यहाँ तक कहते है। तीनो लोको से प्यारी मथुरा नगरी हमारी।
जब जन्मभूमि में प्रवेश करते है तो मन ह्रदय को अत: शांति मिलती है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मे गर्भ-गृह, दर्शन-मण्डप, केशव देव मंदिर, भागवत भवन, श्री कृष्णा कठपुतली लीला एवं श्री वैष्णो देवी गुफा स्थित है।
कंस ने जिस स्थान पर वसुदेव और देवकी को कैदी बना कर रखा था। और जहॉ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। वहां खुदाई में निकले लगभग 1500 वर्ष प्राचीन गर्भगृह और सिंहासन को सुरक्षित रखा गया है। यह भी एक चमत्कार है की जब औरंगजेब मंदिर तोड़ कर उसके उपर ईदगाह बनबाई थी। तब गर्भ-गृह, ईदगाह के नीचे ही दव गया था। जो अब प्राप्त हुआ है।
गर्भ-गृह के उपर एक बरामदा बना हुआ है। जिस पर संगमरमर के पत्थर लगे हुए है। यह एक चमत्कार ही है कि उन पत्थर पर भगवान श्री कृष्णा की अनेक छविया उभर आई है।
श्री कृष्ण जन्म स्थान में केशव देव मंदिर ही सबसे प्राचीन है। केशव देव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अति सुंदर बाल विग्रहे है।

भागवत भवन का निर्वाण 17 वर्ष के कार्य के बाद हुआ था। 12 फरवरी 1982 में इस अति विशाल भागवत भवन में श्री राधा कृष्णा जी की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गयी थी। इस भवन में और भी मंदिर बने हुए है। जैसे जगन्नाथ मंदिर जिसमें श्री जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम जी के बिग्राहे है, श्री सीताराम-लछणन जी का मंदिर, महादेव बाबा मंदिर, हनुमान जी का मंदिर, शेरावाली माता का मंदिर है। यहाँ के खम्बों पर भगवान श्री कृष्ण की अनेको लीला वनी हुई है। और मंदिर की छत पर भगवान श्री कृष्ण की रास लीला और अनेक लीलाओ के बहुत सुन्दर चित्र बने हुए है। जो आने वाले भक्तों का मन हर लेते है। मंदिर की परिक्रमा में ताम्रपत्र पर सम्पूर्ण श्री भगवत गीता लिखी हुई है।
पोतरा कुण्ड:- श्री कृष्ण जन्मस्थान के निकट ही पोतरा कुण्ड नाम से एक विशाल कुण्ड स्थित है। कहते है कि भगवान श्री कृष्ण की माता ने इस ही कुण्ड में श्री कृष्णा जी के वस्त्र आदि साफ किये थे। इसलिये इस कुण्ड का नाम पोतरा कुण्ड हुआ।

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