1नन्द भवन और नंदग्राम मंदिर / Nanda Bhavan or Nandagram Temple

नंदगाँव मंदिर नंदीस्वर पहाड़ी के ऊपर है। यह मंदिर 19 वी सदी की शुरुआत में बनाया गया था। नंदगाँव मंदिर मैं भगवन श्री कृष्णा और बलराम जी के दो काले संगमरमर की मुर्तिया है। जहाँ भगवन श्री कृष्णा बाँसुरी पकडे हुए है। उनके बाये और दाये माँ यसोदा और नंदबाबा है। माँ यसोदा जी के आगे माँ रोहिणी ( भगवान बलराम जी की माँ ) और रेवती जी ( भगवान बलराम जी की पत्नीं ) है। नंदबाबा के साथ में भगवान श्री कृष्णा के दो मित्र श्री सुदामा जी और मधुमंगल जी है। नन्दभवन में सभी देवताओं को श्री वज्रनाभ जी के द्वारा स्थापित किए गए थे। मंदिर के अंदरूनी गुंबद की छत पर भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत चित्र बने हुये है।
2नंदीस्वर महादेव मंदिर / Nandishwar mahadev Temple

नन्दगाँव में भगवान महादेव जी का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को नंदीस्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। नंदीस्वर महादेव की स्थापना श्री वज्रनाभ जी ने की थी। नंदीस्वर महादेव शिव लिंग ब्रिजमंडल के 5 प्रसिद शिव लिंगो में से एक है। कहा जाता है के एक बार भगवान महादेव श्री कृष्णा के बाल रूप के दर्सन के लिए नन्दबाबा और यसोदा मैया के घर आये। मैया यसोदा जी ने भगवान शिव जी का रूप देख कर ( भगवान शिव की राख, साँप और हड्डियों ) भगवान शिव जी को बाल श्री कृष्ण को देखने की अनुमति नहीं दी। शिव जी ने मैया यसोदा को मनाने का बहुत प्रयास किया पर मैया सहमत नहीं हुई। अंत में भगवान शिव, श्री कृष्ण के दर्सन किये बिना ही चल दिए और जंगल मैं जा के श्री कृष्ण का ध्यान करने लगे। अब घर में बाल कृष्ण रोने लगे और किसी के भी चुप करने पर शांत नहीं हुए। तभी मैया यसोदा जी को याद आया की घर पर एक साधू आये थे। जिनको मैंने लाला से मिलने नहीं दिया था। सायद लाल उनके लिये ही रो रहा है। मैया यसोदा जी ने सभी को साधू को खोजने के लिए भेजा। कुछ ही समय के बाद साधू रूपी भगवान शिव खोजी लोगो के साथ में लौट आए जब भगवान शिव, श्री कृष्ण के सामने आए, तो बाल श्री कृष्ण ने तुरंत ही रोना बंद कर दिया और शानदार ढंग से मुस्कुरा दिये। मैया यसोदा ने भगवान श्री कृष्ण से कहा, मेरे बेटे ने रोना बंद कर दिया है। आप बताये की मैं आप के लिए किया कर सकती हूँ। भगवान शिव ने जवाब दिया कि वह केवल बाल श्री कृष्ण के दर्शन और उनके अबशेष ही खाना चाहते है। आज भी नंदगाँव के पुजारी इस प्रथा का पालन करते है।
3पवन सरोवर / Pavana Sarovara

पवन सरोवर झील नदीस्वर पहाड़ी के नीचे स्थित है। माता यशोदा यहाँ पर बाल श्री कृष्णा को स्नान कराती थी। पवन सरोवर भगवान कृष्ण की पसंदीदा झीलों में से एक माना जाती है। नंदबाबा और उनके परिवार के सदस्य यहाँ पर स्नान करते थे। भगवान श्री कृष्ण गायो को चराने के बाद पवन झील में स्नान करती थी और स्नान करती थी। मथुरा महात्म्य में यह कहा जाता है, “नंदिसवाड़ा पहाड़ी से पवना झील में स्नान करने वाला व्यक्ति नंदबाबा और यसोदा के साथ कृष्ण को देखेगा और उसकी सारी इच्छाओं को पूरा किया जाएगा।