मथुरा मंदिर / Mathura Temples

प्राचीन काल में मधु दैत्य के नाम पर मथुरा का नाम मधु नगरी हुआ करता था। सतयुग मैं यहाँ पर मधु दैत्य का राज्य हुआ करता था। मधु दैत्य ने भगवान महादेव जी की तपस्या करके एक त्रिशूल प्राप्त किया था। भगवान महादेव जी ने त्रिशूल देते समय कहा था। यह त्रिशूल जिसके पास जब तक रहेगा तब तक उसका कोई कुछ नहीं कर सकता है। मधु दैत्य ने यह त्रिशूल अपने पुत्र लवणासुर को दिया। लवणासुर के त्रिशूल के बल पर पृथ्वी पर अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया। त्रेतायुग में श्री रामचन्द्र जी के भाई शत्रुघ्न जी ने लवणासुर कर वध किया था। महामुनि भार्गव जी ने शत्रुघ्न जी को जानकारी दी थी की लवणासुर जब मृग शिकार के लिए जाता है। तभी वह त्रिशूल को मंदिर में रखकर जाता है। अतः इस ही समय उसका वध किया जा सकता है। महामुनि भार्गव के कहे अनुसार शत्रुघ्न जी ने मृग शिकार से लौटते समय लवणसुर कर वध कर दिया।
वृंदावन मंदिर / Vrindavan Temples

श्री वृंदावन जी श्री मथुरा जी से 10 किमी की दूरी पर श्री वृंदावन स्थित है। श्री वृन्दावन धाम भगवान श्री कृष्ण को सबसे अधिक प्रिय है। भगवान श्री कृष्ण वृंदावन को अपना निज घर मानते थे और श्री राधा रानी अथवा अन्य सखियों के साथ श्री वृंदावन धाम में ही रहते थे। समस्त लोक में गोलोक है वही वृंदावन धाम है।
एक बार भगवान श्री कृष्ण, श्री राधा जी से बोले, हे प्रिये आप हमारे साथ पृथ्वी पर चलो। श्री राधा जी ने माना करते हुए बोला, हे प्रभु जिस स्थान पर यमुना नदी नही है। गिरिगोवर्धन नहीं है। उस स्थान पर जाने के लिए मेरा मन नहीं करता है। भगवान ने निज धाम से चौरासी कोस भूमि, गोवर्धन पर्वत व यमुना नदी प्रथ्वी पर प्रकट किये। इसलिये बृजभूमि सभी लोको में पूज्यनीय है।
बरसाना मंदिर / Barsana Temples

नंदगांव से 8 किमी दूर बरसाना गांव स्थित है। बरसाना गांव नाम होने का कारण – श्री वृषभानु महाराज जी, श्री नन्द महाराज जी अत्यंत स्नेह करते थे। श्री नंद महाराज जब गोकुल में निवास कर रहे थे। तब वृषभानु महाराज गोकुल के निकट रावल गाँव में निवास कर रहे थे। श्री नंद महाराज जब श्री कृष्ण की सुरक्षा के लिए गोकुल से यमुना नदी पार कर नंदगाँव में आकर निवास करने लगे थे। यह सुनकर श्री वृषभानु महाराज भी रावल गाँव से आकर नंदगाँव निवास करने लगे थे।
गोवर्धन मंदिर / Govardhan Temples

एक बार गोलोक धाम में श्री राधा कृष्ण ने अपनी प्रेममयी रासलीला की थी। रासलीला के अन्त में श्री कृष्ण श्री राधा जी के उपर बड़े प्रंसन्न हुए। श्री कृष्ण को प्रसन्नचित देखकर श्री राधा जी बोली कि – हे जगदीश्वर ! यदि रास में आप मेरे साथ प्रसन्न है तो मैं आपके सामने अपने मन की प्रार्थना व्यक्त करना चाहती हूँ। श्री भगवान बोले – हे प्रिय ! तुम्हारे मन में जो इच्छा हो, तुम मुझ से मांग लो। तुम्हारे प्रेम के कारण मैं तुम्हे आद्ये वस्तु भी दे दूंगा। तब श्री राधा ने कहा – वृंदावन में यमुना के तट पर दिव्य निकुंज के पार्श्वभाग में आप रासरस के योग्य कोई एकांत एवं मनोरम स्थान प्रकट कीजिये। यही मेरा मनोरथ है।
नंदगांव मंदिर / Nandgaon Temples

भगवान का जन्म मथुरा कंस के कारागार में हुआ और वासुदेव जी ने रातों रात उनको नन्द जी के यहाँ यमुना पार करके गोकुल पहुँचाया। वहां यशोदा मइया के पास बालकृष्ण को सुलाकर देवी योगमाया को ले आये। गोकुल में कंस के राक्षकों के अत्याचार से दुखी हो नंदबाबा ने गोकुल गाँव को छोड़ दिया और अपने नाम से नंदगांव की स्थापना की। ये वही नंदगांव है जिसकी महिमा का बखान सभी वेद और शास्त्र भी नित्यप्रति किया करते हैं।
बलदेव गांव मंदिर / Baldev Gaon Temples

यह स्थान मथुरा जनपद में ब्रजमंडल के पूर्वी छोर पर स्थित है। मथुरा से 21 कि॰मी॰ दूरी पर एटा-मथुरा मार्ग के मध्य में स्थित है। मार्ग के बीच में गोकुल एवं महावन जो कि पुराणों में वर्णित ‘वृहद्वन’ के नाम से विख्यात है, पड़ते हैं। यह स्थान पुराणोक्त ‘विद्रुमवन’ के नाम से निर्दिष्ट है।
इसी विद्रुभवन में भगवान श्री बलराम जी की अत्यन्त मनोहारी विशाल प्रतिमा तथा उनकी सहधर्मिणी राजा ककु की पुत्री ज्योतिष्मती रेवती जी का विग्रह है। यह एक विशालकाय देवालय है जो कि एक दुर्ग की भाँति सुदृढ प्राचीरों से आवेष्ठित है। मन्दिर के चारों ओर सर्प की कुण्डली की भाँति परिक्रमा मार्ग में एक पूर्ण पल्लवित बाज़ार है। इस मन्दिर के चार मुख्य दरवाजे हैं, जो क्रमश: