श्री यमुना महारानी जी / विश्राम घाट
श्री विश्राम घाट, श्री द्वारिकाधीश जी मंदिर से 30 मीटर की दूरी पर, नया बाजार में स्थित है। यह मथुरा जी के 25 घाट में से एक प्रमुख घाट है। श्री यमुना महारानी जी की आरती विश्राम घाट से ही की जाती है। विश्राम घाट पर श्री यमुना महारानी जी का अति सुंदर मंदिर स्थित है। विश्राम घाट पर संध्या का समय और भी अध्यात्मिक होता है। संध्या के समय श्री यमुना महारानी जी की भव्य आरती होती है। इस आरती में पांच पडित, पाच भव्य आरती से माँ श्री यमुना महारानी की आरती करते है।
श्री विश्राम घाट पर श्री यमुना महारानी जी के अलावा और भी मंदिर स्थित है। भगवान श्री कृष्ण और बलदाऊ जी (मुकुट) मंदिर, नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, यमुना कृष्णा मंदिर, लंगली हनुमान मंदिर, नरसिंह मंदिर, मुरलीमन्होर मंदिर, वेनी महादेव मंदिर, भगवान यमराज महाराज और यमुना महारानी मंदिर अदि स्थित।

विश्राम घाट जहाँ अथाह सागर में डूबते हुए जीवो को विश्राम मिलता है।
यमुना के तट पर विश्राम तीर्थ स्थित है। यह मथुरा का सर्वप्रधान एवं प्रसिद्ध घाट हैं। इस स्थान का वर्तमान नाम विश्राम घाट है। भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध कर इस स्थान पर विश्राम किया था इसलिये यहाँ की महिमा अपरम्पार है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने महाबलशाली कंस को मारकर ध्रुव घाट पर उसकी अन्त्येष्टि संस्कार करवाकर बन्धु-बान्धवों के साथ यमुना के इस पवित्र घाट पर स्नान कर विश्राम किया था। श्रीकृष्ण की लीला में ऐसा सम्भव है, परन्तु सर्वशक्तियों से सम्पन्न सच्चिदानन्द स्वयं–भगवान श्रीकृष्ण को विश्राम की आवश्यकता नहीं होती है। किन्तु भगवान से भूले-भटके जन्म मृत्यु के अनन्त, अथाह सागर में डूबते–उबरते हुए क्लान्त जीवों के लिए यह अवश्य ही विश्राम का स्थान है।

सौर पुराण के अनुसार विश्रान्ति तीर्थ नामकरण का कारण बतलाया गया है।
ततो विश्रान्ति तीर्थाख्यं तीर्थमहो विनाशनम्।
संसारमरू संचार क्लेश विश्रान्तिदं नृणाम।।
संसार रूपी मरूभूमि में भटकते हुए, त्रितापों से प्रपीड़ित, सब प्रकार से निराश्रित, नाना प्रकार के क्लेशों से क्लान्त होकर जीव श्रीकृष्ण के पादपद्म धौत इस महातीर्थ में स्नान कर विश्राम अनुभव करते हैं। इसलिए इस महातीर्थ नाम विश्रान्ति या विश्राम घाट है। इस महातीर्थ में स्नान एवं आचमन के पश्चात प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु लोग ब्रजमंडल की परिक्रमा का संकल्प लेते हैं। और पुन: यहीं पर परिक्रमा का समापन करते हैं। मथुरा में श्रीयमुना अर्द्धचन्द्राकार होकर बह रही हैं, बीचोंबीच में विश्राम घाट है। उसके दक्षिण और उत्तर में तीर्थ है।
विश्राम घाट के “दक्षिण भाग” के घाट
अविमुक्त तीर्थ, गुहम तीर्थ, प्रयाग तीर्थ, कनखल तीर्थ, तिन्दुक तीर्थ, सूर्य तीर्थ, वट स्वामी तीर्थ, ध्रुव तीर्थ, बोधि तीर्थ, ऋषि तीर्थ, मोक्ष तीर्थ, कोटि तीर्थ
भारत के सारे प्रधान–प्रधान तीर्थ एवं स्वयं–तीर्थराज प्रयाग यमुना के घाटों पर श्रीयमुना महारानी की छत्र–छाया में भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना करते हैं। चातुर्मास्य काल में ये तीर्थसमूह विशेष रूप से यहाँ आराधना करते हैं।
विश्राम घाट के “उत्तर भाग” के बारह घाट
नवतीर्थ (असी तीर्थ), संयमन तीर्थ, धारा पतन तीर्थ, नागतीर्थ, घंटा भरणक तीर्थ, ब्रह्मतीर्थ, सोमतीर्थ, सरस्वती पतनतीर्थ, चक्रतीर्थ, दशाश्वमेध तीर्थ, विघ्नराज तीर्थ, कोटितीर्थ
विश्राम घाट के निकट प्रसिद्ध एक घाट “असिकुंड” है, जहाँ स्नान करने से मनुष्यों के कायिक मानसिक और वाचिक सारे पाप दूर हो जाते हैं।

श्री मथुरा जी में 25 घाट है जिनके नाम
गणेश घाट, दशाश्वमेध घाट, सरस्वती संगम घाट, चक्रतीर्थ घाट, कृष्ण गंगा घाट, सोमा तीर्थ घाट (स्वामी घाट), श्याम घाट, राम घाट, बुद्ध घाट, रावण कोटी घाट, सूर्या घाट, सप्तऋषि घाट, प्रयाग घाट, घटा धरन घाट, वैकुंठ घाट, नवतीर्थ घाट, अस्कुंडा घाट, कनखल घाट, मोक्ष तीर्थ घाट, धुर्व घाट, गुप्ततीर्थ घाट, धारापतन घाट, गऊ घाट।
Shri Yamuna Maharani Ji Temple Images









it is a nice and most beautifull place it is so powerful
and also jai shri krishan
[…] Vishram Ghat Mathura […]