Mokshada Ekadashi Vrat Katha

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Mokshada Ekadashi Vrat Katha
Mokshada Ekadashi Vrat Katha

श्री मोक्षदा एकादशी व्रत कथा एवं विधि

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली यह मोक्षदा एकादशी व्रत मनुष्य को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कराती है। जो मनुष्य जीवन भर अत्याचार, अनाचार, दुराचार और भ्रष्टाचार जैसे पाप कर्मो में लगे रहने के कारण मरणोपरांत नर्क की यातना पा रहे जीवात्माओ को भी मुक्ति देने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत है। इस व्रत को धारण करने वाला मनुष्य जीवन भर सुख भोगता है और अपने समय में निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त होता है। इसे मोक्ष दिलाने वाले इस दिन को मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं। इसी एकादशी को गीता जयन्ती भी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण ने आज ही के दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गंगा, गया, काशी, पुष्कर, एवं कुरुक्षेत्र इनमें से किसी की भी तुलना एकादशी के साथ नही हो सकती।

मोक्षदा एकादशी व्रत विधि

इस दिन प्रातः स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर प्रभु श्रीकृष्ण का स्मरण कर पूरे घर में पवित्र जल छिड़कें तथा अपने आवास तथा आसपास के वातावरण को शुद्ध बनाएं।

कृष्ण कृपा से मोक्षदा एकादशी को निम्न प्रकार से पूजा-पाठ करे

  • राधे कृष्णा का,बाल गोपाल और शालिग्राम भगवान को जल,गंगाजल, गुलाब जल,दूध-केसर ,पंचामृत से अभिषेक करें।
  • अभिषेक के बाद भगवान को पुष्प चढ़ाकर घी का अखण्ड दीपक लगावें और धूपबत्ती लगावें।
  • भगवान कृष्ण को मोरपंख धारण करवावें।
  • भगवान को माखन-मिश्री का, दही-शक्कर का एवं पंचामृत का भोग लगावें,साथ मे मंजरी सहित तुलसी का भोग जरूर लगावें।
    भगवान को केले का भोग लगाना भी बहुत अच्छा रहता हैं।
  • भगवान को पंचामृत बनाकर तुलसी-पत्र मिलाकर भोग लगावे।
  • भोग लगाने के बाद जलपान करवावें और कपूर से आरती करें।
  • फिर निश्चिंत होकर आसन पर बैठकर सम्भव हो,तो पूरे 18 अध्याय का पाठ करें। इतना सम्भव न हो सके,तो केवल ग्यारवे और अठारवे अध्याय का पाठ अवश्य ही करे।
  • पाठ होने के बाद भगवान से क्षमा मांगे एवं अपने पूरे घर मे भगवान के सम्मुख रखे जल का छिड़काव करे।
  • इस तरह पूजा-पाठ से परम् दयालु बांकेबिहारी आपकी हर कामना पूरी करेंगे।
  • यथासम्भव गाय को घास एवं गुड़ खिलावे। किसी ब्राह्मण को गेहूं का दान दक्षिणा सहित करें।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

काफी समय पुरानी बात है, चम्पक नामक नगर में एक ब्राह्मण वास करता था। वहां का राजा वैखानस काफी दयालु था, वह अपनी प्रजा को संतान की तरह प्यार करता था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता नरक में घोर यातनाएं भुगत कर विलाप कर रहे हैं। राजा की नींद खुल गई। अब वह बेचैन हो गया। प्रातः उसने अपने दरबार में सभी ब्राह्मणों को बुलाया और स्वप्न की सारी बात बता दी। फिर सभी ब्राह्मणों से प्रार्थना की कि कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताओ, जिससे मेरे पिता का उद्धार हो सके। ब्राह्मणों ने राजा को सलाह दी कि यहां से थोड़ी दूरी पर महा विद्वान, भूत-भविष्य की घटनाओं को देखने वाले पर्वत ऋषि रहते हैं, वे ही आपको उचित मार्गदर्शन दे सकेंगे।

तत्काल राजा पर्वत ऋषि के आश्रम में गया और ऋषिवर को प्रार्थना की कि हे मुनि! कृपाकर मुझे ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। राजा की बात सुन ऋषि बोले, तुम्हारे पिता ने अपने जीवन काल में बहुत अनाचार किए थे, जिसकी सजा वे नरक में रहकर भुगत रहे हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके पिता की मुक्ति हो जाए तो आप मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली मोक्षदा एकादशी का उपवास करें। राजा वैखानस ने वैसा ही किया, फलस्वरूप उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। अतः जो भी व्यक्ति इस त्योहार को धारण करता है, उसे स्वयं को तो मोक्ष मिलता ही है, उसके माता-पिता को भी मोक्ष प्राप्ति होती है।

मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व

मोक्षदा एकादशी की कथा पढने सुनने से वाजपये यज्ञ का पुण्य फल मिलता है। यह व्रत सब पापों का नाश करके पितरों व समस्त परिवार जनों को मोक्ष प्रदान करता है। रात्रि जागरण-कीर्तन करते विष्णु की विधिपुर्वक पूजा करनी चाहिये। और श्री हरि की कृपा प्राप्त होती हैं।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, जय श्री हरि, जय श्री लक्ष्मी नारायण जी, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमो नारायणाय, श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवायः, जय गौ माता जय गोपाला

बोलिये द्वारकाधीश महाराज की जय।
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो ।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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