Vrindavan Dhaam Maha Kumbh Mela

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Vrindavan Dhaam Maha Kumbh Mela
Vrindavan Dhaam Maha Kumbh Mela

वृंदावन धाम महाकुंभ मेला

महाकुंभ 2021 तारीख

16 फरवरी से होगा मेले का शुभारंभ और 25 मार्च को रंगभरनी एकादशी पर परिक्रमा के साथ होगा समापन।

  • पहला शाही स्नान वसन्त पंचमी – 16 फरवरी
  • द्वितीय शाही स्नान माघ पूर्णिमा – 27 फरवरी
  • तीसरा शाही स्नान विजया एकादशी – 9 मार्च
  • चौथा शाही स्नान फाल्गुन अमावस्या – 13 मार्च
  • पाचवा शाही स्नान रंगभरनी एकादशी – 25 मार्च

श्रीब्रज रज व श्रीधाम वृन्दावन की महिमा

एक बार प्रयाग राज का कुम्भ योग था, उस समय द्वापरयुग चल रहा था। चारों ओर से लोग प्रयाग-तीर्थ जाने के लिये बहुत उत्सुक थे। श्रीनन्द जी महाराज तथा उनके के भाई-बन्धु भी परामर्श करने लगे, कि हम लोग भी चलकर प्रयाग-राज में स्नान-दान-पुण्य कर आवें।

किन्तु भगवान श्री कृष्ण को यह सब मंज़ूर न था। प्रातः काल का समय था, श्रीनन्द बाबा वृद्ध गोपों और अपने साथियों के साथ अपनी बैठक के बाहर बैठे थे। कि तभी सामने से एक काले रंग का भयानक घोड़ा भागता हुआ आया। सभी लोग भयभीत हो उठे, कि कंस का भेजा हुआ कोई असुर आ रहा है।

Vrindavan Dhaam Maha Kumbh Mela
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वह भयानक घोड़ा आया और ज्ञान-गुदड़ी वाले स्थल की कोमल-कोमल रज में लोट-पोट करने लगा। सबके देखते-देखते उसका रंग बदल गया वह काले रंग से गोरा और अति मनोहर रूपवान हो गया। श्रीनन्दबाबा और सभी लोग आश्चर्यचकित हो उठे। वह घोड़ा सबके सामने अपना मस्तक झुका कर प्रणाम करने लगा। श्रीनन्द जी महाराज ने पूछा ‘भाई आप कौन हो? कैसे आया था और काले से गोरा कैसे हो गया?

वह घोड़ा एक सुन्दर रूपवान महापुरुष रूप में प्रकट हो और हाथ जोड़ कर बोला। हे व्रजराज! मैं प्रयाग राज हूँ। संसार के अच्छे और बुरे सभी लोग आकर मुझमें स्नान करते हैं और अपने पापों को मुझमें त्याग कर चले जाते हैं, जिस कारण मेरा रंग काला पड़ जाता है। अतः मैं हर कुम्भ से पहले यहाँ श्री वृन्दावन धाम में आकर इस परम पावन स्थल की धूलि में अभिषेक प्राप्त करता हूँ। इस बृज रज में स्नान कर के मेरे समस्त पाप दूर हो जाते हैं। निर्मल-शुद्ध होकर मैं यहाँ से, आप व्रजवासियों को प्रणाम कर चला जाता हूँ। अब आप सभी मेरा प्रणाम स्वीकार करें।

Vrindavan Dhaam Maha Kumbh Mela
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इतना कहते ही वहाँ न घोड़ा था न सुन्दर मनुष्य था। भगवान श्रीकृष्ण बोले- बाबा! अब क्या विचार कर रहे हो? प्रयाग चलने का किस दिन मुहूर्त है ? नन्दबाबा और सब व्रजवासी जन एक स्वर में बोल – अब कौन जायेगा प्रयागराज? प्रयागराज हमारे व्रज की रज में स्नान कर पवित्र होते है, फिर हमारे लिये वहाँ क्या धरा है ? सभी गोप जनो ने अपनी यात्रा स्थगित कर दी। ऐसी महिमा है श्रीब्रज रज व श्रीधाम वृन्दावन की।

धनि धनि श्रीवृन्दावन धाम॥

जाकी महिमा बेद बखानत, सब बिधि पूरण काम॥
आश करत हैं जाकी रज की, ब्रह्मादिक सुर ग्राम॥

लाडिलीलाल जहाँ नित विहरत, रतिपति छबि अभिराम॥
रसिकनको जीवन धन कहियत, मंगल आठों याम॥

नारायण बिन कृपा जुगलवर, छिन न मिलै विश्राम॥

जय जय श्री वृंदावन धाम॥

हरे कृष्ण!!

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