Dauji ka Huranga Images, Videos and Dates

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Dauji ka Huranga Images, Videos and Dates
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दाऊजी का हुरंगा चित्र, वीडियो और तिथियाँ

विश्व विख्यात ब्रजराज ठाकुर श्री दाऊ जी महाराज मन्दिर बल्देव मथुरा बृजमण्डल के होली महोत्सव हुरंगा मे दिनांक 20 मार्च 2022 को प्रातः काल 11 बजे आप सभी सपरिवार सादर आमंत्रित है धन्यवाद जय दाऊ दादा की

मेरो दाऊ बड़ो अलबेलों री जि तौ होरी में खेले हुरंगा

दाऊजी का विश्व विख्यात हुरंगा 20 मार्च 2022

मथुरा जिला मुख्यालय से 21 km पर है भगवान् कृष्ण के बड़े भाई श्री दाऊजी महाराज की नगरी बल्देव(दाऊजी)

Dauji Huranga Baldeo Mathura
Dauji Huranga Baldeo Mathura

देशभर में होली आयोजन के बाद ब्रज में रंगोत्सव होता है ब्रज के राजा दाऊजी महाराज का हुरंगा। इस बार यह हुरंगा 20 मार्च 2022 को बल्देव में आयोजित होगा। हुरंगा में  हुरियारिनों  उम्र के बंधन भूल हुरियारों पर प्रेम से पगे कोड़े बरसाती हैं। तो हुरियारों भी बाल्टियां भर-भर हुरियारिनों पर रंग उड़ेलते हैं। ऐसी होरी मचाई कृष्ण-बलराम कि गूंज उठे चारो धाम, ये पंक्ति श्रीदाऊजी मंदिर में सच साबित होती है। हुरंगा वाले दिन पूरे देश से ब्रज की होली देखने पहुंचने वाले श्रद्धालु पहली बार में तो इसे भी होली समझ बैठते हैं। लेकिन श्रीदाऊजी के सामने हुरियारे और हुरियारिनों की अद्भुत रंगक्रीड़ा देख समझ जाते हैं कि जि होरी नाय दाऊजी को हुरंगा है।

Dauji ka Huranga
Dauji ka Huranga

हुरंगा वाले दिन श्रीदाऊजी मंदिर का प्रांगण  देवलोक सा नजर आता है। मंदिर के पट खुलते ही बलदेवजी को ‘बलराम कुमार होली खेले कूं, भैया खेले होरी फाग’ से होली खेलने का निमंत्रण दिया जाता है। गोप समूह मंदिर प्रांगण में बने हौदों में रखे टेसू के फूलों के रंग की ओर तेजी से लपकते हैं और रंग को बाल्टी व पिचकारी से भरकर हुरियारिनों और दर्शको पर डालने लगते हैं। सतरंगी गुलाल और गुलाब के फूलों की बरसात बीच गोपी स्वरूप महिलाएं गोप स्वरूप हुरियारों के बदन से कपडे़ फाड़तीं और उनके कोड़े बना कर हुरियारों के ही नंगे बदन पर बरसातीं हैं। इससे तड़ातड़ और चर-चर की आवाज आने लगती है।

Dauji ka Huranga
Dauji ka Huranga

गोपिकाएं उलाहना मारते हुए कहती हैं कि ‘होरी तोते जब खेलूं मेरी पौहची में नग जड़वाय’ इसी बीच होड़ रहती हुरियारों से रेवती मैया और बलदाऊ के झंडे को छीनने की। झंडा न मिलने पर हुरियारे ‘हारी रे गोरी घर चली, जीत चले ब्रजबाल’ गाकर उलाहना देते दिखते हैं तो हुरियारिनों ने दूने उत्साह के साथ झंडा छीन लेती हैं और ‘हारे रे रसिया घर चले, जीत चली ब्रजनारि’ गाकर अपनी जीत का जश्न मनाती हैं। इसी बीच फाग के स्वरों के साथ रसिया नफीरी, ढोल, मृदंग की गगनभेदी आवाज प्रांगण में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं को आनंदित करती रहती है। हुरियारे और हुरियारिनें गीतों की धुनो पर थिरकते रहते हैं। कुछ गोप बलदेवजी के आयुध हल व मूसल को तो कुछ श्रीकृष्ण स्वरूप में मुरली की धुन बजाते दिखाई देते हैं।

Dauji ka Huranga
Dauji ka Huranga

मंदिर प्रांगण में हजारों श्रद्धालु और ब्रज के संत प्रभु की इस अद्भुत लीला को साकार होते देखते हैं और आध्यात्मिक आनंद लेते हैं। ब्रज की होली का मुकुटमणि दाऊजी का हुरंगा पूरे दो घंटे तक चलता है। समाज गायन ‘ढप धरि दे यार गई परु की, जो जीवे सौ खेले फाग’ के साथ हुरंगा का समापन होता है। होली खेलने को मचल उठे कृष्ण-बलराम स्वरूप मंदिर प्रांगण में मंच पर बलराम, श्रीकृष्ण और सखा के प्रतीकात्मक स्वरूप अबीर गुलाल के साथ होली खेलते हैं हुरियारिनें पिटाई में भूल जाती है कि सामने उनके जेठ हैं या ससुर।

Vishav Prasid Dauji Huranga
Vishav Prasid Dauji Huranga

गुलाल और अबीर उड़ाने के लिए मशीनों का उपयोग किया जाता है। विगत वर्षों में 100 मन से अधिक  गुलाल, 51 मन से अधिक अबीर, 51 मन से अधिक विभिन्न फूलों की पंखुडिया उड़ाई गईं। टेसू के रंग 20 क्विंटल, 4 क्विंटल फिटकरी, सफेदी कलई 4 क्विंटल और इत्र व केशर का प्रयोग किया गया।हुरंगा को देखने देश विदेशों से लोग आते हैं।

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