Shri Swami Haridas Ji ki Hori Leela

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Shri Haridas Ji Samadhi Sthal Nidhivan Vrindavan
Shri Haridas Ji Samadhi Sthal Nidhivan Vrindavan

श्रीस्वामी हरिदास जी की होरी-लीला

होरी की एक छोटी लीला, तुमकौं आज सुनामैं।
श्री हरिदास के चमत्कार तै, वाकीफ आज करामैं।।
एक दिना मुदैं नैंनन कौं, बैठै स्वामी प्यारे।
दूर देस ते एक नरेस तब आयौ विनके द्वारे।।
लायौ एक इत्र की सीसी, मोल हो जाकौ भारी।
स्वामी जू के बंद नैंनन में, होरी है रही न्यारी।।

स्वामी जू तै बोलौ राजा, लीजै इत्र कमाल।
केसर और कस्तूरी ते जो, है रह्यौ मालामाल।।
कही की बांकेबिहारी जू कैं, दीजो याए लगाय।
विनकैं इत्र लगै ते मेरे, मन में आनंद आय।।

लै स्वामी नै वाकी सीसी, रज में दई उड़ेल।
चकित भए सब लोग, समझ में आयौ ना ये खे़ल।।
है निरास बोलौ नरेस, मेरी भूल कौं देओ बताय।
इतने मूल्यवान इत्र कौं, रज में दियौ ड़राय।।

खोल नैंन स्वामी नै तबही, बोलीे मन की बात।
जा नरेस नैक दरसन करलै, क्यों मन ग्लानी लात।।
ज्यौं नरेस पहुँचौ कुटिया में, भयौ अचंभौ भारी।
वाकै इत्र तै सराबोर, है रहे है बाँकेबिहारी ।।

बाहर आय पड़ौ चरणन में, मानी गलती भारी।
कृपा करौ या भेद कौं खोलौ, अरजी सुनौ हमारी।।
बोले स्वामी सुन नरेस, जा पल तुम इत्र कौं लाये।
वा पल श्यामा श्याम खेलवे होरी, सब संग आये।।
खेलत खेलत बीत गयौ रंग , जब श्यामा के पास।
तेरे इत्र ते भर पिचकारी, दीन्हीं विनके हाथ।।

भर कैं इत्र जो श्यामा नैं, मारी ऐसी पिचकारी।
देख नरेस इत्र ते तेरे, रंग दिये बाँकेबिहारी।।
तेरे इत्र के कारण राजा, जीत गयीं सुकुमारी।
पिय प्यारी की लीला में, तेरी भी साझेदारी।।

नैंनन अश्रु ते भर आये, देख कृपा गुरूवर की।
रंग रंगीले दोऊ खेलत, होरी आज बिरज की।।
गावत तान, बजावत वीणा, श्री हरिदास हमारे।
बलिहारी है जाए ‘मनोहर’, कर देओ वारे न्यारे।।

।।श्रीकुंजबिहारी-श्रीहरिदास।।

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