अक्षय तृतीया तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा हिंदी में
कब होती है अक्षय तृतीया?
अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला बेहद भाग्यशाली दिन माना गया है।
जानिए अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
वैसे तो बाकी सभी दिन का कोई न कोई शुभ/अशुभ मुहूर्त होता है लेकिन अक्षय तृतीया एक ऐसा समय है जो सभी प्रकार की इच्छा पूर्ण करने वाला दिन माना गया है, जिसमें किसी भी मुहूर्त की ज़रूरत नहीं पड़ती है। अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया गया है। यह अपने आप में एक विशेष मुहूर्त है।
अक्षय तृतीया पूजन विधि
- इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु जी को स्नान आदि क्रिया करने के पश्चात तुलसी, पीले फूलों की माला या पीले फूल उनपर अर्पित करें। - धूप – दीप आदि से आरती कर पीले आसन पर बैठकर विष्णु जी से सम्बंधित पाठ जैसे, विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा आदि पढ़ें और फिर भगवान विष्णु जी की विधिवत आरती करें।
- हो सके तो इस दिन विष्णु भगवान जी को याद कर गरीबों को खाना खिलाएं या दान दें। इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है।
- इस दिन विशेषकर पितृ (पितरों) को एवम् अन्य देवी देवताओं को और घर में विराजित प्रभु – ईश्वर को सत्तू (सतुआ) का भोग लगाकर सभी परिवार के सदस्य उस प्रसाद को ग्रहण करें।
दान में दे सकते हैं ये वस्तुएं
- दान में आप जल के पात्र का दान कर सकते हैं। क्योंकि इस समय में गर्मी की शुरुआत हो ही जाती है।
- गौ सेवा भी कर सकते हैं। आप इस दिन गाय को गुड़ खिला सकते हैं या फिर मीठी रोटी भी बना कर खिला सकते हैं।
- आप सोने की खरीददारी कर दान करें य कोई और भी बस्तु दान कर सकते हैं, उससे भी आपको सम्पूर्ण फल की प्राप्ति अवश्य होती है। अगर आपकी सामर्थ्य नहीं है तो बिना सोना ख़रीदे भी आप अक्षय तृतीया का पर्व मना सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में ज्यादा सोचें नहीं और इस वर्ष कुछ चीज़ों का दान कर के अक्षय तृतीया का पर्व अवश्य मनाएं। और हां स्वर्ण के स्थान पर जौ खरीद कर भगवान विष्णु को अर्पित कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जौ का दान भी स्वर्ण दान जितना ही फलदायी माना गया है।
- अन्न दान करें। आप चाहें तो इस दिन अन्न दान भी कर सकते हैं। अन्न दान से ज्यादा फलदायी कोई दूसरा दान नहीं होता है।
- अक्षय तृतीया के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस दिन आप जो भी सोचते हैं वो अक्षय हो जाता है, यानि कि वह कभी नष्ट नहीं होता है। ऐसे में जितना हो सके बुद्धि में सकारात्मक ख्याल लायें, सबका भला सोचें, भला करें। गलती से भी बुरा न सोचें, न करें।
- इसके अलावा अगर आपके जीवन में कोई खराब आदत है, जो आप काफी समय से छोड़ना भी चाह रहे हैं, तो अक्षय तृतीया के दिन उसे छोड़ने की प्रतिज्ञा मन में ले सकते हैं।
- किसी के जीवन में कोई तकलीफ़ – परेशानी है तो उसे दूर करने की कोशिश करें। इससे भी आपको अक्षय तृतीया के पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया से जुड़ी मान्यताएं
अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण – सोना खरीदने की परंपरा सालों से चली आ रही है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान के घर में सुख, शान्ति और समृद्धि आती है। इसके अलावा कहा यह भी जाता है कि इस दिन अपनी कमाई का एक हिस्सा दान भी कर देना चाहिए। इसके अलावा अक्षय तृतीया से और भी बहुत सी मान्यताएं और बहुत सारी कहानियां भी जुड़ी हुईं हैं।
अक्षय तृतीया को छठे अवतार भगवान परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इसके अलावा विष्णु भगवान के अवतार नर नारायण के अवतरित होने की मान्यता भी अक्षय तृतीया के दिन से जुड़ी हुई है। साथ ही यह भी मान्यता है कि त्रेता युग की शुरुआत इसी दिन से हुई थी। मान्यतानुसार इस दिन व्रत, स्नान, दान आदि का महत्व बताया गया है। कहते हैं कि इस दिन जो भी व्रत करता है और फिर दान-पुण्य करता है उसे कभी भी किसी वस्तु की कमी नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत का फल कभी कम नहीं होता, न घटता है और न कभी नष्ट होता है इसलिये इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।
अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीन काल में बेहद गरीब और सदाचारी एक वैश्य था। उसे देवी, देवताओं में बड़ा विश्वास था। मगर वह वैश्य दिन रात व्याकुल भी रहा करता था। एक दिन वैश्य की इस तकलीफ़ को देखकर एक ब्राह्मण देव ने उसे अक्षय तृतीया के व्रत के बारे में बताया। विप्र ब्राह्मण ने उसे त्यौहार के दिन, स्नान दान आदि का भी महत्व बताया। वैश्य ने ठीक वैसा ही किया जैसा उसे ब्राह्मण ने बताया था। व्रत के फलस्वरुप कुछ ही दिनों में उसका व्यापार भी फलने-फूलने लग गया और अब वो बेहद खुश भी रहने लग गया।
इसके बाद वैश्य जी ने जीवन पर्यन्त अक्षय तृतीया का व्रत और दान-पुण्य आदि किया। अगले जन्म में वैश्य का जन्म कुशावती के राजघराने में राजा के रूप में हुआ। और वह इतना धनी और प्रतापी राजा हुआ कि स्वयं भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश अक्षय तृतीया के दिन उसके दरबार में ब्राह्मण का वेष धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होने के लिए आते थे। इतनी दौलत और इतनी इज़्ज़त मिलने के बाद भी वो कभी अपनी श्रद्धा और भक्ति के मार्ग से नहीं हटा। यही राजा आगे चलकर महाराज चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुए।
अक्षय तृतीया के दिन सभी कष्ट दूर होते हैं इस मंत्र के उच्चारण से
“ॐ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्”
अगर आपकी कुंडली में मौजूद किसी ग्रह – नक्षत्र दोष की वजह से आपकी शादी का शुभ लग्न नहीं निकल पा रहा है तो अक्षय तृतीया के दिन बिना लग्न व मुहूर्त के वैवाहिक डोर में बंधकर आपका दांपत्य जीवन सफल हो जाता है। यही वजह है जिसके कारण आज भी अक्षय तृतीया के दिवस पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, महाराष्ट्र आदि में हजारों की संख्या में शादियाँ होती हैं।
इसके अलावा अगर आपका कोई काम लंबे समय से रुका हुआ है, या कोई काम बन नहीं पा रहा है, अनेकों व्रत और उपवास करने के बाद भी आपकी कोई इच्छा पूरी नहीं हो पा रही है या फिर आपके व्यापार में लगातार घाटा चला आ रहा है, तो भी आपके लिए अक्षय तृतीया का दिन बहुत शुभ साबित हो सकता है।
आपका मेहनत से कमाया हुआ धन आपके पास रुकता नहीं है या आपके घर में सुख, शांति, समृद्धि नहीं है, संतान सही मार्ग पर नहीं है या उनके जीवन में कोई दुःख है, आपके दुश्मन चारों तरफ से आपके ऊपर वार कर रहे हैं, तो भी ऐसे में अक्षय तृतीया का व्रत रखना और अपनी इच्छानुसार दान पुण्य करना आपके लिए अत्यधिक फलदाई साबित हो सकता है।
अगर आपको कोई नया घर ( आशियाना ), ज़मीन-जायदाद, वस्त्र-गहने आदि खरीदना हो तो उसके लिए भी अक्षय तृतीया (अख़ा तीज) का दिन बेहद शुभ माना जाता है।
बोलो विष्णु भगवान की जय…