Shri Krishna Aur Videshi Bhakt

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Shri Krishna Aur Videshi Bhakt
Shri Krishna Aur Videshi Bhakt

श्री कृष्णा और विदेशी भक्त

रोनाल्ड निक्सन जो कि एक विदेशी भक्त थे, जो श्री कृष्ण प्रेरणा से ब्रज में आकर बस गये थे। उनका भगवान श्रीकृष्णा से इतना जायदा प्रगाढ़ प्रेम था, कि वे कन्हैया जी को अपना छोटा भाई मानने लगे थे। एक दिन उन्होंने कन्हैया के लिये हलवा बनाकर ठाकुर जी को भोग लगाया, पर्दा हटाकर देखा तो हलवे में छोटी छोटी उँगलियों के निशान थे। जिसे देख कर भक्त निक्सन की आखों से अश्रुओ धारा बहने लगी। क्यूँकि इससे पहले भी वे कई बार भोग लगाया था, पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था।

एक बार ऐसी घटना घटी, सर्दियों का समय था निक्सन जी कुटिया के बाहर सोते थे। ठाकुर जी को अंदर सुलाकर विधिवत रजाई ओढा कर फिर खुद बाहर लेटते थे। एक दिन निक्सन कुटिया के बाहर सो रहे थे, मध्यरात्रि को अचानक उनको ऐसा लगा की, जैसे किसी ने उन्हें आवाज दी हो। दादा ! ओ दादा ! उन्होंने उठकर अपने चारो तरफ देखा जब कोई नहीं दिखा तो सोचने लगे हो सकता हमारा भ्रम हो। थोड़ी देर बाद उनको फिर से आवाज सुनाई दी…. दादा ! ओ दादा !

तब उन्होंने कुटिया के अंदर जाकर देखा तो पता चला की वे ठाकुर जी को रजाई ओढ़ाना भूल गये थे। वे ठाकुर जी के पास जाकर बैठ गये और बड़े प्यार से बोले, आपको भी सर्दी लगती है क्या…? भक्त का इतना ही कहना था, कि ठाकुर जी के श्री विग्रह से आसुओं की अद्भुत धारा बहने लगी। ठाकुर जी को इस तरह से रोता देखकर निक्सन जी भी फूट फूट कर रोने लगे। उस रात्रि में ठाकुर जी के प्रेम में वह अंग्रेज भक्त इतना रोया, कि उनकी आत्मा उनके पंचभौतिक शरीर को छोड़कर बैकुंठधाम को चली गयी।

हे ठाकुर जी महाराज ! हम इस लायक तो नहीं कि ऐसे भाव के साथ आपके लिए रो सकें, पर फिर भी इतनी प्रार्थना करते हैं। कि हमारे अंतिम समय में हमे दर्शन भले ही न देना पर अंतिम समय तक ऐसा भाव जरूर दे देना। जिससे आपके लिए तडपना और व्याकुल होना ही हमारी मृत्यु का कारण बने।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय

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