Shri Garud Govind Ji Temple Vrindavan

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Shri Garud Govind Ji Temple Vrindavan
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प्रभु श्री गरुण गोविन्द जी मंदिर वृंदावन

अदभुत अद्वितीय प्रभु श्री गरुण गोविन्द जी के कल्याण कारी दर्शन, मथुरा से दिल्ली जाते समय राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर पड़ने वाले छटीकरा के पास ही गरूड़ – गोविन्द श्रीकृष्ण की विहार स्थली है। एक दिन श्रीकृष्ण गोचारण करते हुए सखाओं के साथ यहाँ नाना प्रकार की क्रीड़ाओं में मग्न थे। वे बाल क्रीड़ा करते हुए श्रीदाम सखा को गरूड़ बनाकर उसकी पीठ पर स्वयं बैठकर इस प्रकार खेलने लगे मानो स्वयं लक्ष्मीपति नारायण गरूड़ की पीठ पर सवार हों। आज भी गरूड़ बने हुए श्री राम जी तथा श्री गोविन्द जी जी का यहाँ दर्शन होता है।

रामावतार में जब श्री रामचन्द्र जी मेघनाद के द्वारा नागपाश में बंधकर असहाय जैसे हो गये, उस समय देवर्षि नारद जी से संवाद पाकर गरूड़ जी वहाँ उपस्थित हुए। उनको देखते ही नाग श्रीरामचन्द्र जी को छोड़कर भाग गये। इससे गरूड़ जी को श्रीराम की भगवत्ता में कुछ संदेह हो गया। पीछे से महात्मा काकभुषुण्डी जी के सत्संग से एवं तत्पश्चात श्रीकृष्ण लीला के समय श्रीकृष्ण दर्शन से उनका वह संदेह दूर हो गया। जहाँ उन्होंने गो, गोप एवं गऊओं के पालन करने वाले श्री गोविन्द का दर्शन किया था, उसे गरूड़ गोविन्द कहते हैं। उस समय श्रीकृष्ण ने उनके कंधे पर आरोहण कर उन्हें आश्वासन दिया था।

देवउठान एकादशी के दिन पचकोसी परिक्रमा में प्रभु श्री गरुण गोविन्द जी के दर्शन का विशेष महत्व है।

Shri Garud Govind Ji Temple Vrindavan
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गरुड़ गोविन्द जी की स्थापना

भगवान गरुड़ गोविंद जी एवं लक्ष्मी जी की स्थापना आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र एवं अनिरूद्धजी के पुत्र मथुराधीश राजा वज्रनाभ जी के द्वारा आचार्य गर्गमुनि के सानिध्य में करवायी गयी।

भगवान गरुण गोविंद जी का स्वरुप

गरुड़ गोविंद मंदिर में गरुड़ जी के पृष्ठ भाग पर भगवान गोविंद जी अर्थात भगवान नारायण विराजमान हैं। ठाकुर जी के चरणों मे सत्यभामा एवं रुक्मिणी जी की अद्भुत छवि है। दोनों ही भगवान श्रीकृष्ण की पटरानियाँ थी। भगवान नारायण इस मंदिर में द्वादश भुज स्वरूप में स्थित हैं। इस मंदिर के बारे में एक प्राचीन कहावत भी थी-आठ हाथ को मंदिर, जामे बारह हाथ को ठाकुर। ठाकुरजी के वाम अंग में लक्ष्मी जी विराजमान हैं। गरुड़ जी के प्रभाव के कारण यह मंदिर सर्प दोष एवं कालसर्पयोग के निवारण एवं अनुष्ठानों के लिए विश्वविख्यात है।

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