श्री बाँके बिहारी जी की मंगला आरती क्यों नहीं होती ?
एक बार कलकत्ता से बूढ़े ब्राह्मण श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए वृंदावन आये तो उन्होंने मंदिर के गोस्वामी जी से सेवा मांगी। स्वामी जी ने रात की चौकीदारी की सेवा लगा दी। कहा -कोई चोर मंदिर में प्रवेश न कर पाए। बाबा ने भाव से सेवा स्वीकार की। कई वर्ष बीत गये। एक बार क्या देखते हैं कि बिहारी जी आधी रात को चल दिये सेवाकुंज की ओर तो बाबा भी चल दिए उनके पीछे ! नजदीक पहुंचने पर बिहारी जी थक गए। मुड़कर देखा तो बाबा भी उनके पीछे थे। बाबा से कहा कि मुझे सेवाकुंज तक तो पहुंचा दो।
बाबा श्री बांके बिहारी जी को अपने कंधों पर बैठाकर ले गए। मन में आया- प्रभु इतनी रात में सेवाकुंज में क्या करने आयें हैं? आले से झांक कर देखा तो उन्होंने श्री बिहारी जी को श्री राधा जी संग रास करते हुए देखा। हालत पागलों जैसी हो गिर कर बेहोश हो गए। सुबह बिहारी जी ने बाबा को पुकारा – बाबा! मुझे मंदिर तक नहीं ले जाओगे। बाबा ने बिहारी जी को सुबह मंदिर में पहुंचाया और गोस्वामी जी से सारा वृत्तांत कहा। गोस्वामी जी मंगला आरती के लिए बिहारी जी को उठाने लगे तो बाबा ने उनके पांव पकड़ लिये और कहने लगे -मेरे गोविन्द अभी तो सोयें हैं! कहते हैं कि उसी दिन से साल में जन्माष्टमी को छोड़कर कभी भी श्री बांके बिहारी जी की मंगला आरती नहीं हुई।
जय श्री राधे कृष्ण जी