भजन: मोहन से दिल क्यूँ लगाया है
मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ।
छलिया से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥
हर बात निराली है उसकी, कर बात में है इक टेडापन ।
टेड़े पर दिल क्यूँ आया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥
जितना दिल ने तुझे याद किया, उतना जग ने बदनाम किया ।
बदनामी का फल क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने ॥
तेरे दिल ने दिल दीवाना किया, मुझे इस जग से बेगाना किया ।
मैंने क्या खोया क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने ॥
मिलता भी है वो मिलता भी नहीं, नजरो से मेरी हटता भी नहीं ।
यह कैसा जादू चलाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥