Kokilavan Shani Dev Mandir

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Kokilavan Shani Dev Mandir
Kokilavan Shani Dev Mandir

कोकिला वन का शनिदेव मंदिर सिद्ध क्यों कहलाता है?

द्वापरयुग में बंसी बजाते हुये एक पैर पर खडे़ हुये भगवान श्रीकृष्ण ने शनिदेव की पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिये और कहा कि नंदगांव से सटा “कोकिला वन” उनका वन है। जो इस वन की परिक्रमा करेगा और शनिदेव की पूजा करेगा, वह मेरी व शनिदेव दोनों की कृपा प्राप्त करेगा। इस कारण से कोकिलावन के शनिदेव मंदिर को सिद्ध मंदिर का दर्जा प्राप्त है।

Kokilavan Shani Dev Mandir
Kokilavan Shani Dev Mandir

कोकिलावन धाम का यह सुन्दर परिसर लगभग २० एकड में फेला है इसमें श्री शनि देव मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर, श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर, श्री देव बिहारी मंदिर प्रमुख हैं यहाँ पर दो प्राचीन सरोवर और गोऊ शाळा भी स्थित हैं।

Kokilavan Shani Dev Mandir Parikrma Marg
Kokilavan Shani Dev Mandir Parikrma Marg

हर शनिवार को लाखों श्रद्धालु कोकिलावन धाम की “ॐ शं शनिश्चराय नम:” और जय शनि देव का उच्चारण करते हुए परिक्रमा करते हैं कुछ लोग परिक्रमा मार्ग पर बैठे भिखारियों को दान देते हुए अपनी परिक्रमा पूरी करते हैं परिक्रमा मार्ग लगभग साढ़े तीन किलो मीटर लम्बा है जिसे साधारण गति से लगभग चालीस मिनट में पूरा किया जा सकता है।

कोकिला वन और शनिदेव की कथा

ऐसी मान्यता है कि अपने इष्ट देव भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए शनिदेव ने कड़ी तपस्या करनी पड़ी, तब जाकर वन में भगवान कृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे। जिस वन में भगवान कृष्ण ने शनि देव को दर्शन दिए, आज उसी वन को कोकिला वन नाम से जाना जाता है। जब भगवान श्रीकृष्ण ने बृजमंडल में जन्म लिया था, तब समस्त देवी-देवता उनके दर्शन करने नंदगांव पहुंचे, उन सभी के साथ शनिदेव भी थे। परंतु श्रीकृष्ण की मात यशोदा जी ने शनि देव को दर्शन नहीं करने दिए, इस डर से कि कहीं शनि देव की वक्र दृष्टि श्रीकृष्ण पर ना पड़ जाएं।

Kokilavan Shani Dev Mandir Kund
Kokilavan Shani Dev Mandir Kund

इस घटना से शनिदेव बहुत निराश हुए और नंदगांव के समीप वन में जाकर कठोर तपस्या करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण, शनिदेव के तप से प्रसनं हो गए और उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए और श्रीकृष्ण ने शनि देव से कहा आप सदैव इसी स्थान पर अपना वाश करना, मैंने आपको कोयल के रूप में दर्शन दिए हैं इसलिए इस स्थान को कोकिलावन नाम से जाना जाएगा।

काशी विश्वनाथ मंदिर का शनिदेव से क्या संबंध है?

स्कन्द पुराण में वृतांत है कि एक बार शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से कहा कि मैं ऐसा पद प्राप्त करना चाहता हूं जो आज तक किसी ने प्राप्त न किया हो, मेरी शक्ति आप से सात गुणा अधिक हो, मेरे वेग का सामना कोई देव-दानव-साधक आदि न कर पायें और मुझे मेरे आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन हों। शनिदेव की यह अभिलाषा सुन सूर्यदेव गदगद हुये और कहा कि मैं भी यही चाहता हूं कि मेरा पुत्र मुझसे भी अधिक महान हो, परंतु इसके लिये तुम्हें तप करना पडे़गा और तप करने के लिये तुम काशी चले जाओ, वहां भगवान शंकर का घनघोर तप करो और शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शंकर से अपने मनवांछित फलों का आशीर्वाद लो।

Kashi Vishwanath Temple
Kashi Vishwanath Temple

शनिदेव ने अपनी पिता की आज्ञानुसार वैसा ही किया और तप करने के बाद वर्तमान में भी मौजूद शिवलिंग की स्थापना की। इस प्रकार काशी विश्वनाथ मंदिर के स्थल पर शनिदेव को भगवान शंकर से आशीर्वाद के रुप में सर्वोपरि पद मिला। निष्कर्ष: जीवन के अच्छे समय में भी शनिदेव का गुणगान करो। आपातकाल में शनिदेव के दर्शन व दान करो। पीड़ादायक समय में शनिदेव की पूजा करो। दुखद प्रसंग में भी शनिदेव पर विश्वास रखो। श्री शनि-सुकृपा आप सभी पे बनी रहे।

Shani Dev Mandir Kokilavan Address and Location with Google Map

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