Shri Jagannath Temple History Puri

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Bhagwan Shri Jagannath
Bhagwan Shri Jagannath

श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी

पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भगवान विष्णु के 8 वे अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। यह भारत में ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। आज का उड़ीसा प्राचीनकाल में उत्कल प्रदेश के नाम से जाना जाता था। जगन्नाथ शब्द “जग + नाथ” से मिल कर बना है जिसकाअर्थ जगत के स्वामी होता है। जगन्नाथ जी की नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। पुरी का जगन्नाथ धाम भारत के चारो धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।

Shri Jagannath Temple
Shri Jagannath Temple

जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है, जो 10 दिनों तक चलती है। इस रथ यात्रा में तीन लकड़ी के रथो पर, मंदिर के तीनो देवता भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं। प्राचीन काल से ही यह उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि माता सुभद्रा को अपने मायके द्वारिका से बहुत प्रेम था इसलिए उनकी इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा जी ने अलग रथों में बैठकर द्वारिका का भ्रमण किया था। तब से आज तक पुरी में हर वर्ष रथयात्रा निकाली जाती है। यह उत्सव विश्व के ढेरों वैष्णव मंदिरों में मनाया जाता है, और यात्रा भी निकाली जाती है।

Bhagwan Shri Jagannath Ji Darshan
Bhagwan Shri Jagannath Ji Darshan

मंदिर का विवरण

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कलिंग शैली में किया गया है। गंग वंश में मिले ताम्र पत्रों के अनुसार वर्तमान मंदिर के निर्माण कार्य को कलिंग के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने शुरु करवाया था। प्रमुख मंदिर वक्र रेखीय आकार में बना है, जिसके शिखर पर भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्रलगा हुआ है। इसे नीलचक्र भी कहा जाता हैं। यह अष्टधातु का बना हुआ है और अतिपावन और पवित्र माना जाता है। कहा जाता है की इस चक्र को मंदिर में कही से भी देखने पर यह सीधा ही दिखाई देता है।

Sudarshan Cakra
Sudarshan Cakra

जगन्नाथ मंदिर 400,000 वर्ग फुट में फैला है और चार दीवारी से घिरा हुआ है। मंदिर का मुख्य ढांचा एक 65 मी॰ ऊंचे पाषाण चबूतरे पर बना है। इसके भीतर गर्भगृह में मंदिर के मुख्य देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। मुख्य भवन एक 6 मीटर ऊंची दीवार से घिरा हुआ है और दूसरी दीवार मुख्य मंदिर को घेरती है। सोलह किनारों वाला एकाश्म स्तंभ, मुख्य द्वार के ठीक सामने स्थित है। यह द्वार दो सिंहों द्वारा रक्षित हैं।

श्री जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कथाएं

मंदिर से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक वृक्ष के नीचे मिली थी। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूर्ति दिखाई दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाये उन्हें वहा लकड़ी का लठ्ठा मिलेगा। उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराये। जब राजा समुद्र तट पर गया तो उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया।

Shri Jagannath Ji Bhai Bhan Ke Sath
Shri Jagannath Ji Bhai Bhan Ke Sath

भगवान श्री विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में राजा से मिले। किंतु उन्होंने राजा के सामने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे तब तक राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आयेगा। माह के अंतिम दिनों में जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं सुनाई दी, तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे में झांका और वह वृद्ध कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया और राजा से कहा, कि मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं, उनके हाथ अभी नहीं बने थे। राजा के अफसोस करने पर, मूर्तिकार ने बताया, कि यह सब प्रभु इच्छा से हुआ है और यह मूर्तियां ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जायेंगीं। तब से ही तीनों मुर्तिया भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां मंदिर में स्थापित है।

श्री जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा

भगवान जगन्नाथ के रथ में यात्रा पर निकलने क बहुत कथाये है।

  • कुछ लोग का मानना है के सुभद्रा जब अपने मायके आती है तो अपने भाइयो से नगर भ्रमण की इच्छा व्यक्त करती है तब दोनों भाई अपनी बहन को रथ में साथ लेकर नगर भ्रमण को जाते है।
  • गुंडीचा मंदिर में प्रतिष्ठित देवी इनकी मोसी लगती है जो तीनो भाई बहनों को अपने घर आने का निमंत्रण देती है। तब तीनो भाई बहन 10 दिनों के लिए मोसी के यहाँ रहने के लिए जाते है।
Jagannath Puri Rath Yatra
Jagannath Puri Rath Yatra

मंदिर से जुड़ी कुछ ऐसी चमत्कारी बातें

  • मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है।
  • जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है।
  • मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही आप समुद्र की लहरों से आने वाली आवाज को नहीं सुन सकते। आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है।
  • मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी तरफ है।
  • मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता साथ ही मंदिर के पट बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।
    जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको चौंका देगी कि इसके ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता। यहां तक कि हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता।
  • एक पुजारी मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदलता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा।
  • दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती।
Jagannath Ji
Jagannath Ji

Jagannath Temple Puri Address and Location with Google Map

1 COMMENT

  1. जय श्री राधे जय श्री कृष्णा। अति उत्तम जानकारी । सभी के लिए उपयोगी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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