कार्तिक (दामोदर) मास का इतना माहत्म्य क्यों?
कार्तिक मास-जिसे दामोदर मास के रूप मैं भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और श्रेष्ठ महीनों में से एक होता है। इस मास की महिमा का कारण सिर्फ धार्मिक ग्रंथों में वर्णित लीलाएँ ही नहीं है, बल्कि इस समय की आध्यात्मिक ऊर्जा और भगवान श्रीकृष्ण की अनूठी कृपा है।
आइए, सभी मिलकर जानते हैं कि क्यों कार्तिक मास इतना विशेष है और इसमें कौन-कौन सी दिव्य लीलाएं घटीं।
1. भगवान कृष्ण की अनोखी लीलाएँ
कार्तिक मास में भगवान श्रीकृष्ण ने अनेको ऐसी लीलाएँ कीं, जो आज भी भक्तों के दिलों में बसती हैं।
- शरद पूर्णिमा: इस रात को भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी जी और गोपियों के साथ रासलीला की लीला की। इसी रात से कार्तिक मास की शुरुआत होती है।
- बहुलाष्टमी: इस दिन राधा रानी जी और भगवान श्रीकृष्ण ने राधाकुंड और श्यामकुंड का निर्माण किया था। गोवर्धन मैं आज भी इन कुंडों का बहुत महत्व है।
- धनतेरस: समुद्र मंथन मैं भगवान धन्वंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। वे अपने हाथों में अमृत कलश, शंख, चक्र और जड़ी-बूटियाँ लिए हुए प्रकट हुए थे। जिससे आयुर्वेद की शुरुआत हुई।
- नरक चतुर्दशी: भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर जैसे असुर का वध किया और दुनिया को असुरों के आतंक से मुक्त कराया।
- दामोदर लीला: दिवाली के दिन माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को उखल से बाँधा, जिस कारण उनका नाम दामोदर पड़ा। इसी वजह से कार्तिक मास को दामोदर मास के रूप मैं भी जाना जाता हैं।
- गोवर्धन पूजा: भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और ब्रजवासियों को इंद्र की प्रकोप से रक्षा की। इस दिन गोवर्धन ,मैं भगवान को 56 भोग भी लगाए जाते हैं।
- गोपाष्टमी: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण पहलीबार गाय चराने गये थे, जिससे गौ-माता की महिमा और बढ़ गई।
- उत्थान एकादशी (देवउठनी): कार्तिक मास में चार महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु जागते हैं। इस दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती भी है।
- तुलसी विवाह: भगवान श्रीकृष्ण का तुलसी माता से विवाह इसी दिन होता है, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है।
2. दीपदान का विशेष महत्व
कार्तिक मास में संध्या समय में दीपक जलाने का बहुत महत्व है। पद्म पुराण में कहा गया है:
- कार्तिक मास में सिर्फ एक दीपक जलाने से भगवान कृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं। जो व्यक्ति बृज में दूसरों को दीपक जलाने के लिए देता है, भगवान उसकी भी स्तुति करते हैं।
- इससे पता चलता है कि इस मास में दीपदान करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा मिलती है और हमरे पापों का नाश भी होता है।
3. स्कंद पुराण का संदेश
स्कंद पुराण में कार्तिक मास को सबसे अधिक श्रेष्ठ माना गया है
मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः।
तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ॥
अर्थात्: जैसे भगवान विष्णु और विष्णु तीर्थ श्रेष्ठ हैं, वैसे ही कार्तिक मास भी कलियुग में दुर्लभ और अत्यंत श्रेष्ठ है।
4. कार्तिक मास की आध्यात्मिक ऊर्जा
इस मास में भगवान की कृपा और भक्ति का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस समय में किया गया जप, तप, दान, और दीपदान अन्य समय की तुलना में अधिक फलदायी होता है। इसलिए, इस मास में लोग अधिक से अधिक भक्ति और सेवा में लगते हैं।
कार्तिक मास सिर्फ एक महीना नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण की कृपा और लीलाओं का संग्रह है। इस मास में की गई भक्ति, दीपदान, और सेवा से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अनंत फल मिलता है। इसलिए, इस मास को ‘महामास’ भी कहा जाता है।