Thakur Shri Banke Bihari Ji Prakatya Katha

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Shri Banke Bihari Charan Darshan Akshay Tritiya
Shri Banke Bihari Charan Darshan Akshay Tritiya

ठाकुर बांके बिहारी जी

मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष पंचमी को बांके बिहारी जी का आविर्भाव दिवस भी मनाया जाता है। श्रीधाम वृन्दावन, यह एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा आख़िर कौन व्यक्ति होगा जो इस पवित्र भूमि पर आना नहीं चाहेगा तथा श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन कर अपने को कृतार्थ करना नही चाहेगा। यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया।

Sharad Purnima Solah Kalao Ki Purnima
Sharad Purnima Solah Kalao Ki Purnima

स्वामी हरिदास जी का जन्म संवत 1536 में भाद्रपद महिने के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन वृन्दावन के निकट राजापुर नामक गाँव में हूआ था। इनके आराध्यदेव श्याम सलोनी सूरत बाले श्रीबाँकेबिहारी जी थे। जब ये 25 वर्ष के हुए तब इन्होंने अपने गुरु जी से विरक्तावेष प्राप्त किया एवं संसार से दूर होकर निकुंज बिहारी जी के नित्य लीलाओं का चिन्तन करने में रह गये। निकुंज वन में ही स्वामी हरिदासजी को बिहारीजी की मूर्ति निकालने का स्वप्नादेश हुआ था। तब उनकी आज्ञानुसार मनोहर श्यामवर्ण छवि वाले श्रीविग्रह को धरा की गोद से बाहर निकाला गया। यही सुन्दर मूर्ति जग में श्रीबाँकेबिहारी जी के नाम से विख्यात हुई। यह मूर्ति मार्गशीर्ष, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को निकाली गयी था। अतः प्राकट्य तिथि को हम विहार पंचमी के रूप में बड़े ही उल्लास के साथ मानते है।

Hariyali Teej Darshan Shri Banke Bihari Ji Darshan Vrindavan
Hariyali Teej Darshan Shri Banke Bihari Ji Darshan Vrindavan

श्रीबाँकेबिहारी जी मन्दिर में केवल शरद पूर्णिमा के दिन श्री श्रीबाँकेबिहारी जी वंशीधारण करते हैं। केवल श्रावन तीज के दिन ही ठाकुर जी झूले पर बैठते हैं एवं जन्माष्टमी के दिन ही केवल उनकी मंगला आरती होती हैं। जिसके दर्शन सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होते हैं। और चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया के दिन ही होता है। इन चरण-कमलों का जो दर्शन करता है उसका तो बेड़ा ही पार लग जाता है। मंदिर की एक और विशेषता है कि यहाँ घंटी या शंख नहीं बजता है।

जय श्री बांके बिहारी जी
श्री कृष्ण शरणम ममः

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