Shri Varad Vinayak Mahad

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Shree Varadvinayak Kolhapur
Shree Varadvinayak Kolhapur

श्री वरदविनायक मंदिर महाड

श्री वरदविनायक- अष्ट विनायक में चौथे गणेश हैं श्री वरदविनायक। वरदविनायक देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश का ही एक रूप है। वरदविनायक जी का मंदिर गणेश जी के आठ पीठों में से एक है, जो महाराष्ट्र राज्य में रायगढ़ ज़िले के कोल्हापुर तालुका में एक सुन्दर पर्वतीय गाँव महाड में स्थित है। इस मंदिर में नंददीप नाम का एक दीपक है जो कई वर्षों में प्रज्जवलित है। वरदविनायक का नाम लेने मात्र से ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान प्राप्त होता है।

Shree Varad Vinayak Temple
Shree Varad Vinayak Temple

मान्यता

इस मंदिर के विषय में भक्तों की यह मान्यता है कि यहाँ वरदविनायक गणेश अपने नाम के समान ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान देते हैं। प्राचीन काल में यह स्थान ‘भद्रक’ नाम से भी जाना जाता था। इस मंदिर में नंददीप नाम से एक दीपक निरंतर प्रज्जवलित है। इस दीपक के बारे में यह माना जाता है कि यह सन 1892 से लगातार प्रदीप्यमान है।

व्रत एवं पूजन

इसके साथ ही यह मान्यता भी है कि पुष्पक वन में गृत्समद ऋषि के तप से प्रसन्न होकर भगवान गणपति ने उन्हें “गणानां त्वां” मंत्र के रचयिता की पदवी यहीं पर दी थी, और ईश देवता बना दिया। उन्हीं वरदविनायक गणपति का यह स्थान है। वरदविनायक गणेश का नाम लेने मात्र से ही सारी कामनाओं को पूरा होने का वरदान प्राप्त होता है। यहाँ शुक्ल पक्ष की मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी के समय ‘वरदविनायक चतुर्थी’ का व्रत एवं पूजन करने का विशेष विधान है। शास्त्रों के अनुसार ‘वरदविनायक चतुर्थी’ का साल भर नियमपूर्वक व्रत करने से संपूर्ण मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

Shree Varad Vinayak Mandir Kund
Shree Varad Vinayak Mandir Kund

श्री वरदविनायक कथा

पुष्पक वन में गृत्समदषि के तप से प्रसन्न होकर भगवान गणपति ने उन्हें ”गणनात्वा” मंत्र के रचयिता की पदवी यहीं पर दी थी और ईश देवता बना दिया । उन्ही वरदविनायक गणपति का यह स्थान है । वरदविनायक गणेश का नाम लेने मात्र से ही सारी कामनाएं पूर्ण होने का वरदान प्राप्त होता है । वरदविनायक चतुर्थी का सालभर नियमानुसार व्रत करने से सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

प्रति माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्यान्ह के समय वरदविनायक चतुर्थी या वैनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है । वैनायकी चतुर्थी में गणेशजी को षोडशोपचार विधि से पूजा -अर्चना करने का विधान है । पूजन में गणेशजी के विग्रह को दूर्वा ,गुड़ या मोदक का भोग ,सिंदूर या लाल चंदन चढ़ाना चाहिए एवं गणेश मंत्र का १०८ बार जाप करें।

Shree Varad Vinayak Darshan
Shree Varad Vinayak Darshan

जय गणपति बप्पा
जय अष्टविनायक
जय वरदविनायक
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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