कोई कैसे समझे, श्रीधाम वृन्दावन के रसिक संतों और भक्तों के भाव
कोई कैसे समझे, श्रीधाम वृन्दावन के रसिक संतों और भक्तों के भाव ! अहा ! श्रीधाम वृन्दावन ! सुनते ही रोम-रोम पुलकित हो उठता है। श्रीधाम वृन्दावन, जहाँ मेरे श्यामा-श्याम की नित्य लीला अपने भक्तों के सुख के लिये अबाध चल रही है। श्रीधाम वृन्दावन को आज की लौकिक सीमा में मत बाँध लेना। वृन्दावनी रसिकोपासना तो महाभाव स्वरुपा श्रीकिशोरीजी की कृपा कटाक्ष से वितरित किये गये सुधारस के रस में निमग्न होना ही है। कैसे-कैसे भक्त ! अहा, कैसे-कैसे अनुपम भाव ! पंडित गदाधर भट्ट गोपियों से पूछते हैं कि अरे सखी ! एक कृष्ण तो सदा-सर्वदा मेरे नयनों में बसता है तो अब श्रीधाम वृन्दावन में ये गऊऐं चराने वाला ये दूसरा कौन आ गया है?
श्री बिहारिनदासजी यमुना पुलिन पर ब्राह्म-मूहूर्त में नीम की दाँतौन कर रहे हैं और उनके नेत्रों के सामने श्यामा-श्याम की लीला चल रही है। अब चेत कहाँ? तीन दिन बीत गये, वहीं खड़े हैं, मुख में दाँतौन लिये ! कोई मानसी सेवा में खोयी हुयी श्रीजी की पायल खोज रहा है और कोई दूसरा संत उनकी मानसी सेवा में प्रवेश करके उन्हें बता रहा है कि पायल किस लता के पास पड़ी है ! किसी संत को श्रीकिशोरीजी अपने हाथों से बनाकर खीर खिला देती हैं तो किसी की जटा झाड़ियों में उलझने पर उसके हठ पर श्यामा-श्याम आकर उसकी जटायें सुलझा देते हैं।
अनवरत अबाध लीला ! वैसे ही रसिक संत ! कौन बोले ! क्या देखा ! कौन समझेगा ! पात्र कहाँ? जो पात्र है उसे बतावे कौन? उससे छिपा ही क्या है? प्रेमी कैसे, एक से बढ़कर एक ! श्रीकृष्ण अवतार कब हुआ? श्रीकृष्ण यहाँ कब तक रहे? युग और वर्षों का हिसाब मत करो। वह सदा से थे, सदा हैं और सदा ही रहेंगे। दास के अनर्गल प्रलाप पर भरोसा मत करना ! उन्होंने ही कहा – “वृन्दावनं परित्यज्य पादमेंक न गच्छति।” कहाँ हैं श्रीधाम वृन्दावन? जहाँ रसिक हैं, जहाँ भक्त हैं, जहाँ पात्र हैं,
वहीं श्रीधाम वृन्दावन प्रकट हो जाता है जैसे भक्तीमती मीराबाई के लिये मेड़ता में प्रकट हुआ। श्री श्यामा-श्याम का दिव्य धाम है श्रीवृन्दावन सो उसके पास भी वैसी ही सामर्थ्य है कि जहाँ रसिक/भक्त मिले, वहीं प्रकट। यही कारण है कि आज भी श्रीधाम वृन्दावन में कितने ही अप्रकट रसिक/संत हैं जो श्रीयुगलकिशोर की मधुरातिमधुर लीलाओं के रसपान में डूबे हुए हैं। ऐसा रस जो जन्म-जन्मांतरों की अतृप्त प्यास को बुझा दे, धरा पर जन्म लेना सार्थक कर दे।
जय जय श्रीधाम वृन्दावन
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो ।
श्री कृष्ण शरणम ममः
Shri Bankey Bihari Lal maharaj ki Kripa sab bani rahe
Jai jai shri Radhe Krishna
Very good stories of my beloved श्री राधा कृष्ण