कोई सोना चढाए कोई चाँदी चढाए
बहूत ही सुंदर पंक्तिया है ( कृपया एक-एक शब्द पढें )
कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए।
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ।।
चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है।
अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का झूठा है।
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का झूठा है।।
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का झूठा है।
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का झूठा है।।
चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है।
अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का झूठा है।।
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का झूठा है।
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का झूठा है।।
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का झूठा है।
चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है।।
अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का झूठा है।
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का झूठा है।।
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का झूठा है।
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का झूठा है।।
चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है।
तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है – मेरा दर्पण।
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण।।
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः