श्रीकृष्ण की तीन अधूरी इच्छाएं
निकुंज में राधाजी ने श्रीकृष्ण से पूछा-तुम बांसुरी क्यों बजाते हो..?
कृष्ण कहते हैं- तुम्हें बुलाने को
राधा जी कहती है जब तुम बांसुरी बजाते हो… मैं सब कुछ भूलकर, सब छोडछाड कर भागी चली आती हूँ।
श्री कृष्ण कहते हैं ऐसा क्या है मेरी इस बांसुरी में….?
राधा जी कहती है- चितचोर तुम ये प्रेम… ये विरह कभी नहीं समझोगे… यदि तुम राधा होते तब तुम्हें पता चलता।
कृष्ण कहते हैं- यदि मैं राधा और तुम कृष्ण होती तो क्या करती..?
राधा जी कहती हैं… फिर जब मैं तुम्हे…मेरे विरह में तडपते देखती, तब मुझे भी तुम्हारी तरह बड़ा मजा आता….
राधा यदि ऐसा है तो मैं कलयुग में चैतन्य के रूप में अवतार लूँगा, जिनका शरीर तो राधा का होगा और आत्मा कृष्ण की और मै ‘राधाभाव” लेकर ही अवतरित होऊँगा क्योंकि मै जानना चाहता हूँ कि वह प्रेम..माधुर्य और सुख कैसा है, मेरी ये तीन अधूरी इच्छाएँ है…..
१. प्रेम – श्री राधा का मेरे प्रति जो अद्वितीय प्रेम है उसकी महिमा का क्या रूप है या वह प्रेम कैसा है…..?
२.माधुर्य -उस प्रेम के द्वारा श्री राधा मेरे जिस माधुर्य का आस्वादन करती है वह मेरा माधुर्य कैसा है…..?
३.सुख – मेरे माधुर्य का आस्वादन करने से श्री राधा को जो सुख प्राप्त होता है वह सुख कैसा है….?
अपनी इन तीन अधूरी इच्छाओ को पूर्ण करने हेतु ही भगवान श्रीकृष्ण श्री कृष्ण चैतन्य रूप में श्री राधा भाव लेकर अवतरित हुए…….!























