भजन: आओ मनमोहना, आओ नंदनंदना
आओ मनमोहना, आओ नंदनंदना।
गोपियों के प्राण धन, राधा जी के रमणा।।
लालनी एक विनय सुनिए, अब मेरी गली में आइए ना।
आइए तो करुणा कर के, हँसते सुनाइए गाइए नाथ।।
गाइए तो अधरों धर के, मुरली ये मंद बजाइए ना।
सरसाइए ना उर प्रेम व्यथा, पुनि आइए तो फिर जाइए ना।।
कजरारी तेरी आँखों में क्या भरा हुआ कुछ टोना।
तेरा तो असर औरों का मरण, बस जान हाथ से धोना।।
क्या खूबी हुस्न बयान करूं, तू सुंदर श्याम सलोना है।
ललित किशोरी प्राण धन जीवन, तू ब्रज का एक खिलौना है।।
आओ मनमोहना, आओ नंदनंदना।
गोपियों के प्राण धन, राधा जी के रमणा।।





























