Kharidari Ke Lie Ravipushyaamrt Yog Hee Kyon Khaas

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Shri Dwarkadhish Maharaj Darshan Mathura
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खरीदारी के लिए रविपुष्यामृत योग ही क्यों खास

कल 23 अक्टूबर 2016 दिन रविवार को प्रातः 06:13 से रात्रि 01:43 बजे तक रविपुष्य योग है । इसमें किया गया जप तप दान आदि अक्षय होता है। 23 अक्टूबर 2016 रविवार को ( सूर्योदय प्रातः 06:13 बजे से रात्रि 01:43 तक ) रविपुष्यामृत योग है। बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।

बाजार से खरीदी का महामुहूर्त पुष्य नक्षत्र इस बार दिवाली से 8 दिन पहले यानी 23 अक्टूबर, रविवार को आएगा। रविवार को आने से यह रवि पुष्य कहलाएगा। 27 नक्षत्रों में से पुष्य और इसमें भी रवि पुष्य का होना खरीदारी के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। धनतेरस और दिवाली के लिए लोग बाजार में पुष्य नक्षत्र के संयोग में ही सबसे अधिक खरीदारी करते हैं।

पुष्य पर तीन शुभ योग बनाएंगे इसे विशेष

इस बार का रवि पुष्य नक्षत्र इसलिए भी सबसे खास होगा क्योंकि इस दिन संयोग से श्रीवत्स योग बन रहा है और अहोई अष्टमी, कालाष्टमी के साथ सूर्य एवं बुध का एक साथ होना भी इसे सर्वश्रेष्ठ बना रहा है। पंडितों की माने तो इस संयोग में की गई खरीदारी अक्षय पुण्यकारी होगी।

खरीदारी के लिए पुष्य ही क्यों खास?

पुष्य को सभी 27 नक्षत्रों का राजा माना जाता है।
इसमें की गई खरीदी समृद्धिकारक होती है।
पुष्य नक्षत्र की धातु सोना है, इसे खरीदने के लाभ होता है।
रवि पुष्य में भूमि, भवन, वाहन व अन्य स्थाई संपत्ति में निवेश करने से प्रचुर लाभ की संभावना रहती है।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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