Shri Radhakund-Ashta Sakhi Kunj

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Radha Kund Goverdhan

श्री राधाकुंड-अष्ट सखी कुञ्ज

श्री राधाकुंड का सौंदर्य अपार है। ये भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत आनंद प्रदान करने वाला है। इस सरोवर की शोभा और महिमा क्षीर सागर का भी तिरस्कार करती हैं, क्योकि वहा पर सिर्फ एक ही स्थान पर श्री हरि लीला हुई ,परन्तु श्रीकुण्ड के समस्त जल में श्री कृष्ण लीलाएं निरंतर होती हैं।

अष्ट कुंजो का वर्णन

श्री ललितानंद कुञ्ज

ये ललितानंद कुञ्ज, श्री ललिता जी का कुञ्ज है जो की श्री राधाकुंड के उत्तर दिशा के घाट के किनारे पर स्थित है। ललिता जी ने अपनी शिष्य कलावती जी को इस् कुञ्ज की देखभाल के लिए नियुक्त रखा है। ये कुञ्ज लीलाओं के आवश्यकतानुसार छोटी बड़ी हो जाती है। इसमें सभी ऋतुएँ निरंतर विद्यमान रहती हैं। लीला सम्बन्धी सभी द्रव्य और सखियां इस कुञ्ज में हर समय विद्यमान रहती हैं।

श्री मदनसुखद कुञ्ज

ये श्री विशाखाजी का कुञ्ज है जो श्री ललिता जी कुञ्ज के ईशान कोण में स्थित है। देखने में ये राजभवन जैसा प्रतीत होता है। इस कुञ्ज में सुन्दर चंपक वृक्ष, विभिन्न पुष्प तथा मालती लताएं है। श्री विशाखा जी की शिष्या श्री मंजुमुखी इसकी देखभाल के लिए नियुक्त हैं।

श्री चित्रानंदद कुञ्ज

ये श्री चित्र जी का कुञ्ज है जो श्री राधाकुंड के पूर्व दिशा में स्थित है। इसमें नाना जाती के रंग बिरंगे वृक्ष और लताएं शोभा पा रही हैं। यहां भिन्न भिन्न जाती के पक्षी और मृग आनंद से विचरते हैं। यहाँ दालान, आंगन मणियों से बने तथा जगह जगह हिंडोले झूल रहे हैं।

पूर्णेन्दु कुञ्ज

ये श्री इंदुलेखा जी का कुञ्ज है जो श्री राधाकुंड के आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में स्थित है। इसके बरामदे, आंगन सफेद पत्थर और चंद्रकांत मणि के बने हैं। इसमें सफ़ेद कमल, कुमुद, कुमुदिनी के फूल चित्रित हैं। इस कुञ्ज में सब लताएं, वृक्ष, पत्ते, फल सब सफ़ेद हैं। सारे पक्षी, शुक, भ्रमर भी सफ़ेद हैं। पूर्णमासी के दिन जब श्री राधा सब सखियो संग शुभ्र वस्त्रों में वहाँ आती है तो उन्हें एकाएक देख पाना कठिन होता है।

श्री हेमकुंज

ये श्री चम्पकलता जी का कुञ्ज है जो श्रीकुण्ड के दक्षिण दिशा में स्थित है। जिस प्रकार श्री पूर्णेन्दु कुञ्ज पूर्णतया शुभ्र वर्ण है,वैसे ही ये कुञ्ज पूर्ण रूप से सोने के रंग का है। श्री राधाजी लिलावशतः यहाँ अपने श्री अंगों पर पीला अनुलेपन लगाकर, पीले वस्त्र धारण कर आती है, उस समय श्री कृष्ण भी उन्हें नही देख पाते। श्री कृष्ण गौरांग वेश धरकर यहाँ छुपकर सखियो की प्रेमपूर्ण बातें सुनते हैं। यहाँ अनुपम रसोई घर है जहाँ श्री राधा कृष्ण भोजन करते हैं। समय समय पर श्री चम्पकलता सखी सह-भोज का आयोजन करती है।

श्री मनोहर कुञ्ज

ये श्री रंगदेवी जी का कुञ्ज है जो श्री कुंड के नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में स्थित है। यह पूर्ण रूप से गाढ़-श्याम वर्ण है। यहाँ बरामदे, चबूतरे सब मणिमय हैं। यहाँ युगल को कोई देख नही पाता। केवल श्री राधा दिखाई देती हैं।

श्री अरुनाम्बुज कुञ्ज

ये श्री तुंगविद्या जी का कुञ्ज है जो श्रीकुंड के पश्चिम में स्थित है। इसकी लताएं, वृक्ष, पुष्प, बरामदे, मण्डप, हिंडोले और आंगन सब लाल वर्ण के हैं।

श्री हरित कुञ्ज

ये श्री सुदेवी जी का कुञ्ज है जो की श्रीकुण्ड के वायुकोण (उत्तर-पश्चिम) में स्थित है। इसमें युगल पासे खेलते हैं। इसकी लताएं, वृक्ष, पक्षी सब हरे रंग के हैं यहाँ सब चबूतरे,बरामदे और सब वस्तुएं हरि-मणियों की बनी हैं।

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