Kartik Mahine Mein Puja Kaise Karen?

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Akshaya Tritiya Sringar Iskcon Temple Vrindavan
Shri Radha Krishna Darshan Iskcon Temple Vrindavan

कार्तिक महीने में पूजा कैसे करें?

कुछ वैष्णव दिनांक 16 अक्टूबर एकादशी से 35 दिन पूर्णिमा तक का कार्तिक नियम व्रत लेंगे

और कुछ वैष्णव 20 अक्टूबर पूर्णिमा से अगली पूर्णिमा तक का नियम लेंगे

गृहस्थ विशेषकर महिला वैष्णव 16 अक्टूबर एकादशी से पूर्णिमा तक 35 दिन का नियम लेते हैं, जिससे उनके मासिक धर्म के दिन कवर हो जाते हैं

कार्तिक मास को वैष्णव भाषा में दामोदर मास भी कहा जाता है। इसी माह में यशोदा मैया ने भगवान कृष्ण को रस्सी से उखल के साथ बांधा था

कार्तिक मास में वैष्णव जन विशेष भजन का नियम लेते हैं। केंद्र में भजन होता है और भजन के लिए आवश्यक है कि हमारा खान-पान दिनचर्या सोच विचार सात्विक हो और भजन के अनुकूल हो

केवल जमीन पर सोना सूर्योदय से पूर्व उठ जाना फलानी चीज खाना और फलानी चीज नहीं खाना इस पर केंद्रित होना और भजन ना बढ़ाना भजन ना करना यह अच्छी बात नहीं है।

जितने भी सदाचार, भोजन के परहेज, ब्रह्मचर्य का पालन, भूमि शयन, कम सोना, रात में नहीं खाना यह सब इसलिए है कि हमारा शरीर सात्विक रहे, शरीर में विकार ना आए और इस शरीर से जितना हम चाहते हैं उतना भजन हो पाए।

मुख्य बात है भजन। साथ ही भजन के अंगों में

सूर्योदय से पूर्व उठकर तुरन्त स्नान
दामोदर अष्टक का पाठ
तुलसी जी की 108 या 4 परिक्रमा
तुलसी जी को दीपदान एवम तुलसी सेवा
ठाकुर जी को दीपदान
मंदिर दर्शन
वैष्णव ग्रन्थ श्रवण या पठन
धाम में है तो दामोदर की चार परिक्रमा आदि आदि और अंतिम दिन द्वादशी को
कार्तिक व्रत उद्यापन।

यह सब होता रहे, शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए भोजन आदि की, सदाचार की व्यवस्था की गई है।

भोजन को सरल बनाने के लिए भी एक अच्छा तरीका है। कार्तिक मास में खाने की किन्हीं 10 चीजों की आप लिस्ट बना लें। इस माह में केवल उन 10 चीजों को ही दस सब्जियों को ही आगे पीछे करके खाएं।

नमक से काम
मिर्च से क्रोध
मीठे से लोभ
दूध पदार्थ से मोह बढ़ता है, अतः सावधान

यह भी इसलिए है कि हम स्वाद पर कंट्रोल कर पाए क्योंकि जो हमारी जिह्वा है यह बहुत ही शक्तिमान इन्द्रिय है।

जिह्वा की पुष्टि स्वाद द्वारा होती रही तो अन्य इंद्रियां भी अपना-अपना विषय मांगेगी और हम विषयों में लग जाएंगे तो भजन नहीं हो पाएगा

इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए एक ईमानदार साधक कार्तिक में अधिक भजन का व्रत लेता है और बहुत ही सरलता से उसका पालन करके श्री कृष्ण भक्ति की एक और सीढ़ी चढ़ जाता है।

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