देव कुंड / देह कुंड की पौराणिक कथा
बहुत समय पहले की बात है, ब्रज मंडल में एक स्थान पर एक गहरा कुंड था, जिसे आज देव कुंड के नाम से जाना जाता है। यह स्थान अत्यंत शांत, पवित्र और दिव्य था। कहा जाता है कि इस कुंड में समय-समय पर देवता, ऋषि-मुनि, और ब्रह्मचारी संत स्नान करने आते थे और तपस्या करते थे।
एक बार सभी देवताओं ने एकत्र होकर सोचा कि पृथ्वी पर एक ऐसा स्थान बनाया जाए जहाँ वे बिना विघ्न स्नान, ध्यान और यज्ञ कर सकें। तब उन्होंने ब्रह्माजी के आदेश से ब्रज में एक विशेष स्थल पर कुंड का निर्माण किया, और वहीं तपस्या करने लगे।

भगवान श्रीकृष्ण ने जब यह देखा, तो वे वहाँ बालरूप में पहुँच गए और देवताओं से लीला की। भगवान ने देवताओं को साक्षात दर्शन दिए और वरदान दिया कि इस स्थान पर आने वाला प्रत्येक भक्त पुण्य को प्राप्त करेगा और उसके सभी पाप नष्ट होंगे।
उस दिन से यह स्थान देव कुंड कहलाया। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से मनुष्य को तीर्थों के बराबर फल प्राप्त होता है, और यहाँ की गई प्रार्थना, जप और ध्यान सीधा भगवान तक पहुँचता है।

देव कुंड का नाम देह कुंड कैसे हुआ कथा
एक बार एक ब्राह्मण, अपनी विवाह‑योग्य बेटी के लिए आर्थिक सहायता माँगने बरसाना पहुँचा। उसने श्रीकृष्ण से कहा कि उसे कुछ धन चाहिए। तब श्रीकृष्ण बोले:
श्री राधा मेरी एकमात्र सम्पत्ति है, और वही मेरा सम्पूर्ण धन है।
श्रीकृष्ण ने राधारानी की ओर इशारा किया और कहा, “ये मेरी सम्पत्ति है।” ब्राह्मण ने यह सुनकर गहरी पीड़ा व्यक्त की कि उसे न तो धन मिला और न अपनी बेटी का उचित जीव‑जोडा। इस पर कृष्ण ने उसकी प्रतिक्रिया समझी और ब्राह्मण को राधारानी के देह के बराबर सोना दे दिया।

यह स्थान इस चमत्कारी घटना के बाद “देह कुंड” कहलाया—जहाँ ‘देह’ शब्द राधा जी की देह का प्रतीक है। कुंड के पास स्थित मंदिर को “देह‑बिहारी” के नाम से जाना जाता है।
देह कुंड लीला पद
सखी ललिता को गाँव, जहाँ वृक्षों की छाँव।
अब चल देह कुंड, वहाँ फूलन को झुंड।।
इक दिन की है बात, आये सांवरिया श्याम।
सखियन संग राधा आयीं, करने स्नान।।
आये राधा संग श्याम, पूछी कर के स्नान।
बोले, कैसे पधारे यहाँ, ब्राह्मण भगवान।।
जी मैं ब्राह्मण गरीब, करनो है कन्यादान।
बोले, राधा धन मेरो, ले लो राधा को दान।।
मैं ब्राह्मण बेचारो, मेरो मत करों अपमान।
रख राधा धन तेरो, मेरो आपकू प्रणाम।।
पहले एक छोरी लेकर, पकडू मैं कान।
अब दूजी कि गोरी दे कर, करता अहसान।।
कियो राधा को मोल, दियो सोने से तोल।
लियो कृष्ण कन्हैया ने, राधा अनमोल।।
रखो पंडित को मान, दियो सोने को दान।
यहाँ महिमा महान, तू भी कर स्वर्णदान ।।
देव कुंड से जुड़ी विशेष बातें
- यहाँ जल आज भी अत्यंत शुद्ध और ठंडा रहता है, चाहे मौसम कोई भी हो।
- श्रद्धालु यहाँ आकर गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय जाप, राधा-कृष्ण नाम-संकीर्तन करते हैं।
- ब्रज क्षेत्र में स्थित कुछ विशिष्ट देव कुंडों का संबंध राधा रानी, अष्टसखियों और गोपियों की लीलाओं से भी बताया जाता है।