श्री राधारमण जी संध्या आरती वन्दना
प्राणधन श्री राधारमण लाल जय जय ।
जय श्री भट्ट गोपाल ॥
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे , उर वैजन्ती माल ।
शोभा उर वैजन्ती माल ॥ प्राणधन…
कानन में मकराकृत कुण्डल , बेंदी झलके भाल ।
शोभा बेंदी झलके भाल ॥ प्राणधन…
घूंघरवाली अलके झलके , बाँके नयन बिशाल ।
शोभा मोही ब्रज की बाल ॥ प्राणधन…
कटि किंकिणी पग नूपुर बाजे , मुरली अधर रसाल ।
बाजे वंशी अधर रसाल ॥ प्राणधन…
श्रीवृन्दावन की कुञ्ज गलिन में , चालत चाल मराल ।
शोभा चालत चाल मराल ॥ प्राणधन…
संग – संग श्री गोपाल भट्ट जू , झलकत प्रेम रसाल ।
बलिजाऊँ ! झलकत प्रेम रसाल ॥ प्राणधन…
श्रीगोपीनाथ प्रभु की छबि निरखत , भक्तन के प्रतिपाल ।
सोभा दासन के प्रतिपाल ॥ प्राणधन…
प्यारो श्री राधारमण लाल जय जय ।
जय श्री भट्ट गोपाल ॥
जय श्रीवृन्दावन रसिक रसाल ।
हरे हरे ! श्रीवृन्दवन रसिक रसाल ॥ प्राणधन…
श्रीचैतन्य जीव उर माल , श्रीरूपसनातन प्रेम रसाल ।
हरे हरे ! भट्ट सनातन प्रेम रसाल ॥ प्राणधन…
इनकी पदरज धारूँ भाल , श्रीगोपीनाथ प्रभु करत निहाल ।
हरे हरे ! श्री राधारमण प्यारो करत निहाल ॥ प्राणधन…