श्री राधारमण मन्दिर वृन्दावन
श्री राधारमण मन्दिर वृन्दावन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। श्री राधारमण मन्दिर में श्री गोपालभट्ट गोस्वामी जी के पूज्यनीय ठाकुर हैं। इस मंदिर में श्री राधारमण जी के ललित त्रिभंगी मूर्ति के दर्शन हैं। मान्यता है कि 1599 विक्रम संवत वैशाख शुक्ला पूर्णिमा की बेला में शालिग्राम से श्री गोपालभट्ट जी के प्रेम में वशीभूत हो, श्री राधारमण विग्रह के रूप में अवतरित हुए।
श्री गोपालभट्ट जी, श्रीमन महाप्रभु के अनन्य शिष्य थे। श्री गोपालभट्ट जी पहले एक शालिग्राम शिला की सेवा करते थे। भगवन शालिग्राम जी के सेवा करते हुये श्री गोपालभट्ट जी के मन में अभिलाषा हुई कि यदि शालिग्राम जी के हस्त पद होते तो मैं उनकी विविध प्रकार से अलंकृत कर सेवा करता और उन्हें झूले पर झुलाता। भक्तवत्सल प्रभु अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करने के लिए उसी रात ही ललितत्रिभंग श्री राधारमण स्वरूप में परिवर्तित हो गये। श्री गोपालभट्ट जी भक्त की इच्छा पूर्ण हुई। श्री गोपालभट्ट गोस्वामी ने नानाविधि अलंकारों से भूषितकर उन्हें झूले में झुलाया तथा बड़े लाड़-प्यार से भोग राग अर्पित किया। श्रीराधारमण पीछे से दर्शन करने में शालिग्राम शिला जैसे ही लगते हैं।
श्रीराधारमण विग्रह का श्री मुखारविन्द गोविन्द जी के समान, वक्षस्थल श्री गोपीनाथ जी के समान तथा चरणकमल मदनमोहन जी के समान हैं। श्रीराधारमण विग्रह के दर्शनों से तीनों विग्रहों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।