श्री राधारानी जी के बारे में रोचक जानकारी
राधारानी हिन्दू धर्म की देवी हैं। हिन्दू धर्म में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधारानी जी का ही नाम लिया जाता है। कई लोग मानते हैं कि राधा जी श्री विष्णुजी की अर्धांगिनी देवी श्री लक्ष्मीजी का अवतार हैं। यह बात पद्म पुराण और भविष्यपुराण से जाहिर होती है। राधा-कृष्ण को शाश्वत प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं। माना जाता है कि राधा-कृष्ण के नाम उच्चारण से ही व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
राधारानी का जन्म
पद्म पुराण की एक कथा के अनुसार जब भगवान श्री विष्णुजी ने श्री कृष्ण अवतार लिया तब उन्होंने सहायता हेतु सभी देवताओं से पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतरित होने को कहा। तब भगवान विष्णु की पत्नी श्री लक्ष्मीजी ने राधारानी के रूप में यमुनाजी के निकट रावल गांव में अवतरण लिया। राधा जी राजा वृषभानु को यज्ञ की भूमि साफ करते हुए मिली। राजा ने ही इनका पालन पोषण किया।
राधारानी के मंत्र
राधा कृष्ण के इस मंत्र से होती है व्यक्तियों की हर मनोकामनाएं पूरी:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधा-रमणाय ।
गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा ।।
राधारानी बिना अधूरी है श्री कृष्ण आराधना
राधारानी श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी कही गई हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि राधा जी के बिना भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है तो वह सफल और पूरी नहीं होती है। कई पुराणों में यह लिखा गया है कि राधाजी श्री लक्ष्मीजी का अवतार थीं। जिस तरह विष्णु जी की पूजा श्री लक्ष्मीजी के बिना अधूरी होती है उसी प्रकार श्री कृष्णजी की पूजा राधाजी के बिना अधूरी होती है।
राधारानी का स्वरूप
राधारानी के मुख पर अद्भुत चमक, शांति और करुणा का भाव दिखाई देता है। इनके दो हाथ हैं, माथे पर मुकुट, गले में फूलों की माला और श्री कृष्ण के प्रेम में डूबी हुई आंखें। लंबे बाल तथा बड़ी -बड़ी आंखें लाल रंग के वस्त्र के साथ पूर्ण शृंगार किए हुए दिखाई देती हैं।
राधारानी के अन्य नाम
- राधा
- रासेश्वरी
- रासवासिनी
- कृष्णप्राणाधिका
- कृष्णप्रिया
- कृष्णस्वरूपिणी
- परमान्दरूपिणी
- वृन्दा
- कृष्णा
- चन्द्रावली
राधारानी के प्रमुख मंदिर
- राधा वल्लभ मंदिर
- राधा कृष्ण मंदिर
- राधा गोपालजी का मन्दिर
- राधारमणजी का मन्दिर
- राधाकुण्ड-कृष्णकुण्ड
- राधा-रानी मंदिर
- राधा रमन का मंदिर
जै जै जै श्री राधे श्री राधे श्री राधे