अपने जीवन में कष्टों का सामना करे
जिस तरह अशुद्ध सोने को भट्ठी में गलाने से उसकी अशुद्धियाँ पिघलकर बाहर निकल जाती हैं और भट्ठी में केवल शुद्ध सोना बचता है, ठीक उसी प्रकार प्रकृति व परमेश्वर हर क्षण मनुष्य जीवन की शुद्ध्त्ता को निखारने के लिए ऐसी परिस्थतियां गढ़ते हैं, जिनका सामना करने में मनुष्य की अशुद्ध विकृतियाँ, कुसंस्कार धुलते चले जाते हैं और उससे दूर होते चले जाते हैं। यधपि मनुष्य मिलने वाले इन कष्टों से दूर भागना चाहता है, उनका सामना नहीं करना चाहता; क्योंकि इनका सामना करने पर उसे कष्ट होता है, फ़िर भी यदि उसे अपने जीवन को निखारना है तो इन परिस्थितियो का सामना तो उसे करना ही पडेगा।
यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में कष्टों का सामना न करे, विपरीत परिस्तिथियों के सामने अपने पाँव पीछे हटा ले, तो न तो उसके व्यक्तित्व का विकास हो पायेगा और न ही वह अपनी क़ीमत व अपनी क्षमताओं से परिचित हो पायेगा।
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय ।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो ।
श्री कृष्ण शरणम ममः