महाशिवरात्रि कल्याणमयी रात्रि

‘स्कन्द पुराण’ के ब्रह्मोत्तर भाग में आता है कि ‘शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ बताया गया है। उसमें जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और दुर्लभ है। लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वसिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि भूरि प्रशंसा करते नहीं थकते हैं। इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से भी अधिक पुण्य मिलता होता है।

‘शिव’ का तात्पर्य है ‘कल्याण’ अर्थात् महाशिवरात्रिः बड़ी कल्याणकारी रात्रि है। इस रात्रि में जागरण करते हुए ॐ नमः शिवाय इस प्रकार, प्लुत जप करें, मशीन की भाती जप पूजा न करें, जप में जल्दबाजी नही होनी चाहिए। बीच-बीच में आत्मविश्रान्ति मिलती जाय। इसका बड़ा हितकारी प्रभाव व अदभुत लाभ होता है।

शिवपूजा में वस्तुओं का कोई महत्त्व नहीं है, भावना का बहुत महत्त्व है। भावे ही विद्यते देव चाहे जंगल या मरूभूमि में क्यों न हो, वहाँ रेती या मिट्टी के शिवजी बना लो, उस पर पानी के छींटे मार दिये, जंगली फूल तोड़कर शिव को अर्पित कर दिये और मुँह से ही नाद बजा दिया तो शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं। आराधना का एक और तरीका यह भी है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाय। और दूसरा तरीका यह है कि शिव की मानसिक पूजा की जाय। हम मन-ही-मन भावना करें-

मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए

शिवरात्रि पर शिवलिंग के अभिषेक से करोड़ो जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं। सामान्य रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है, लेकिन विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग वस्तुओं और फूलों से शिव पूजन का अलग-अलग महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं कि भगवान शिव के किस अभिषेक से क्या लाभ होता है।

  • गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने पर धन संबंधित समस्याएं समाप्त होती हैं।
  • इत्र से अभिषेक करने पर सुख और सुविधाओं से जुड़ा लाभ मिलता है।
  • मधुमखी के शहद से शिवलिंग का अभिषेक करने पर पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य मिलता है।
  • शत्रुओं से परेशान हैं तो सरसों के तेल द्वारा शिवलिंग का अभिषेक करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
  • दूध और गंगाजल मिलाकर अभिषेक करने पर अपने पापों व तनाव से मुक्ति मिलती है।

महाशिवरात्रि पर कालसर्प दोष के लिए

महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों को कालसर्प दोष है,वे यदि शिवरात्रि दिन कुछ विशेष उपाए करें तो इस दोष से होने वाली परेशानियों से राहत मिल सकती है। कालसर्प दोष 12 प्रकार का होता है, इसका निर्धारण जन्म कुंडली देखकर ही किया जाता है। प्रत्येक कालसर्प दोष के निवारण के लिए अलग-अलग उपाए बताये गए हैं। यदि आप जानते हैं कि कुंडली में कौन का कालसर्प दोष है तो उसके अनुसार आप महाशिवरात्रि पर यह उपाए कर सकते हैं। महाशिवरात्रि पर कालसर्प दोष के प्रकार व उनके उपाए इस प्रकार हैं।

1. अनन्त कालसर्प दोष

-अनन्त कालसर्प दोष होने पर नागपंचमी पर एकमुखी,आठमुखी अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है।
-यदि इस दोष के कारण स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है, तो महाशिवरात्रि पर रांगे की धातु से बना सिक्का नदी में प्रवाहित करें।

2. कुलिक कालसर्प दोष

-कुलिक नामक कालसर्प दोष होने पर दो रंग वाला कंबल या गर्म वस्त्र दान करें।
-चांदी की एक ठोस गोली बनवाकर उसकी पूजा करें और उसे अपने पास रखें।

3. वासुकि कालसर्प दोष

– वासुकि कालसर्प दोष होने पर रात को सोते समय पलंग के सिरहाने पर थोड़ा बाजरा रखें और सुबह उठकर उसे पक्षियों को खिला दें।
– महाशिवरात्रि पर लाल धागे में तीन, आठ अथवा नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

4. शंखपाल कालसर्प दोष

– शंखपाल कालसर्प दोष के निवारण के लिए 400 ग्राम वजन के साबुत बादाम बहते जल में प्रवाहित करें।
– महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का दूध से अभिषेक करें।

5. पद्म कालसर्प दोष

– पद्म कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
– जरूरतमंदों को पीले वस्त्र का दान करें और तुलसी का पौधा घर पर लगाएं।

6. महापद्म कालसर्प दोष

– महापद्म कालसर्प दोष के निदान के लिए श्री हनुमान मंदिर में जाकर सुंदरकांड का पाठ करें।
– महाशिवरात्रि पर गरीब, असहायों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा दें।

7. तक्षक कालसर्प दोष

– तक्षक कालसर्प योग के निवारण के लिए 11 नारियल गंगा या जमुना के बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
– सफेद रंग के कपड़े और चावल का दान करें।

8. कर्कोटक कालसर्प दोष

– कर्कोटक कालसर्प योग होने पर बटुकभैरव के मंदिर में जाकर उन्हें दही-गुड़ का भोग लगाएं और पूजा अर्चना करें।
– महाशिवरात्रि के दिन शीशे के आठ टुकड़े नदी में प्रवाहित करें।

9. शंखचूड़ कालसर्प दोष

– शंखचूड़ नामक कालसर्प दोष की शांति के लिए महाशिवरात्रि की रात में सोने से पहले सिरहाने जौ रखें और उसे अगले दिन पक्षियों को खिला दें।
– आप पांचमुखी, आठमुखी या नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

10. घातक कालसर्प दोष

– घातक कालसर्प दोष के निवारण के लिए पीतल के बर्तन में गंगाजल भरकर अपने पूजा स्थल पर रखें।
– चार मुखी, आठ मुखी और नौ मुखी रुद्राक्ष हरे रंग के धागे में अपने हाथ या गले में धारण करें।

11. विषधर कालसर्प दोष

– विषधर कालसर्प दोष के निदान के लिए अपने परिवार के सदस्यों की संख्या के बराबर नारियल लेकर एक-एक नारियल पर उनका हाथ लगवाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
– महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के मंदिर में जाकर यथाशक्ति दान दें।

12. शेषनाग कालसर्प दोष

– शेषनाग कालसर्प दोष होने पर महाशिवरात्रि की पूर्व रात्रि को लाल कपड़े में थोड़े से बताशे व सफेद फूल बांधकर सिरहाने रखें और उसे अगले दिन सुबह नदी में प्रवाहित कर दें।
– महाशिवरात्रि पर गरीबों को दूध अथवा अन्य सफेद वस्तुओं का दान करें।