Maa Lalita Devi Shakti Peeth Allahabad

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Maa Lalita Devi Shakti Peeth Allahabad
Maa Lalita Devi Shakti Peeth Allahabad

माँ ललिता देवी शक्तिपीठ इलाहावाद (प्रयाग)

बहुत कम लोग जानते हैं कि इलाहावाद स्थित ललिता देवी शक्ति पीठ ईक्यावन शक्ति पीठों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण तथा पूजनीय है। जिन ईक्यावन शक्ति पीठों का नाम शास्त्रों मे आता है उसमें प्रयाग स्थित ललिता देवी का नाम इसलिये ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है कि यह देवी महर्षि भारद्वाज तथा सम्भवतः राम द्वारा भी पूजित हैं। यह भी आगमो मे वर्णित है कि विश्रवा मुनि के पुत्र कुबेर ने भी देवी की यहां गुप्त आराधना की थी।

ललिता देवी प्रयाग की ही नहीं अपितु पूर्वीभारत की प्रमुख देवी कहीं जाती हैं तथा इन्हें लालित्य तथा ज्ञान की देवी कहा जाता हैं। यही ॠषि अम्भृण मुनि की पुत्री वाक्सूक्त के रूप मे भी प्रकट हुई थी। इन्हीं का वर्णन महाभाष्यकार पतंजलि ने पणिनि भाष्य मे किया है

“सोऽयं वाक्समाम्नायो वर्णसाम्नायः पुष्पतः फलितचन्द्रतारकवत् प्रतिमण्डितो वेदितव्यो ब्रह्मराशिः”

यही वरण्य हैं और यही जिसका वरण करती हैं वही इनके स्वरूप का यथार्थतः ज्ञान प्राप्त कर पाता है जैसा की उपनिषद मे कहा गया है “यमेवैष वृणुते तनुऽस्वाम्”।इनकी पूजा प्रमुख रूप से परा गायत्री द्वारा की जाती है। परा गायत्री से इनकी पूजा किये जाने का मतलब है कि उनका रहस्याति रहस्यमय ठंग से रहस्य तर्पण किया जाता है। यह थोडा रहस्य वर्णन है जो किसी श्रेष्ठ गुरू द्वारा जाना जा सकता है।

इन्ही के बारे मे सप्तशती मे “सर्वेभ्यस्तवतिसुन्दरी परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी” कहा गया है। सप्तशती कोई ऐरा गैरा ग्रन्थ नही है यह किसी उपनिषद से कम नहीं है, इसका प्रकाश उन्हे ही मिलता है जो देवी भक्त है तथा सत्यान्वेषी हैं। जगन्नाथ पुरी मे उत्कल विश्वविद्यालय के एक आचार्य ने मुझसे एक बार कहा था कि यह एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जो व्यक्ति को सबकुछ देने मे सक्षम है।

यह महिषमर्दिनि का वांगमय घर जैसा है जिसमे उनका वांग्मय स्वरूप यत्र तत्र बिखरा पडा है। प्रयाग कई मामलो मे श्रेष्ठ है, यह योग पीठ कहा जाता है। बहुत कम लोग इस तथ्य को जानते है । यह चिन्मय ब्रह्म रूपिणि आद्याशक्ति है , सदैव हृदय मे ध्यातितव्य है।

विशुद्धा परा चिन्मयी स्वप्रकाशा। मृतानन्दरूपा जगद्व्यापिका च।।
तवैद्ग्विधा या निजाकारमूर्तिः। किमस्मिभिरन्तहृर्दि ध्यातित्वया।।

इनकी कथाये अकथ्य है। प्रयाग तीर्थ में देवी की दाहिने हाथ की अंगुली गिरी थी। जहाँ जहाँ उनके अंग गिरे वहाँ वहाँ उनका नाम अलग है तथा वहाँ वहां शिव का नाम भी अलग अलग है। शिव ने देवी पार्वती के प्रेम में कहा था कि जहाँ जहाँ तुम्हारी पुजा जिस जिस रूप में होगी वहाँ वहाँ मैं तुम्हारे उस रूप के साथ भैरव रूप मे सदैव निवास करूंगा। ललिता देवी शक्ति पीठ में देवी का नाम ललिता है तथा शिव का नाम भव है।

यह सदैव ध्यान रखना चाहिये कि किसी शक्ति पीठ का दर्शन तब तक अधूरा माना जाता जब तक दर्शनार्थी पीठ के भैरव की पूजा सम्पन्न नही कर लेता। वास्तव में नियमतः शिवपूजन के बाद ही शक्तिपीठ मे देवी दर्शन करना चाहिये। ललिता देवी शक्ति पीठ के शिव भवमोचक है।

यह मन्दिर आदिकाल से पूजित रहा है कहा जाता है कि अर्जुन ने स्वयं यहाँ पर अपने बाणों से एक कूप का निर्माण किया था जिसे आज भी देखा जा सकता है। इलाहाबाद के बहुत ही भीड भरे इलाके में मीरापुर नामक मुहल्ले में यह प्राचीन देवी तीर्थ है। मन्दिर का जिर्णोद्धार पचास साल पहले किया गया था हलांकि इसे और भव्य बनाने की जरूरत है। माँ के भक्तों को इस तीर्थ का दर्शन जरूर करना चाहिये।

केवल ईक्यावन शक्ति स्थल ही देवी तीर्थ माने गये हैं जिनका शास्त्रों मे स्पष्ट वर्णन है बाकी तो जो कोई भी देवी मन्दिर बनवा लेता है उसे शक्ति पीठ कह देता है तथा उसका प्रचार प्रसार करके उसे प्रचलित कर देता है। वास्तव मे जो शक्ति स्थल कहे गये हैं उनका चिन्मय प्रकाश व्यक्ति को परिवर्तित तो करता ही है क्योकि बडे बडे योगियो तथा तथा सिद्धो द्वारा वह स्थल नित्य रहस्यमय ठंग से पूजित होता रहता है।

बोलिए सच्चे दरबार की जय
सच्ची ज्योता वाली माता तेरी सदा ही जय
जय माँ ललिता देवी
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

2 COMMENTS

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी हर देवी उपासक को यहाँ आना चाहिये।
    नमो नारायण

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