भजन: बांके बिहारी की देख छटा
टेढ़े सुन्दर नैन, टेढ़े मुख कहे बैन ।
टेढ़ो ही मुकुट, बात टेढ़ी कछु कह गयो ।।
टेढ़े घुंघराले बाल, टेढ़ी गल फूल माल ।
टेढ़े ही गुलाक, मेरे चित्त में बसे गयो ।।
टेढ़े पग ऊपर, नुपुर झंकार करे ।
टेढ़ी बाँसुरी बजाय, चित्त चुरे गयो ।।
ऐसे टेढ़े टेढ़ीन को, ध्यान धरे माया राम ।
लट पटि पाग सो, लपेट मन ले गयो ।।
बांके बिहारी की देख छटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
लटा पटा, हे लटा पटा ।
बांके बिहारी की देख छटा ।।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।
कब से खोजूं, बनवारी को ।
बनवारी को, गिरधारी को ।।
कोई बता दे उसका पता ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
बांके बिहारी की देख छटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
मोर मुकुट, श्यामल तन धारी ।
कर मुरली, अधरन सजी प्यारी ।।
कमर में बांधे पीलो पटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
बांके बिहारी की देख छटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
पनिया भरन, यमुना तट आई ।
बीच में मिल गए, कृष्ण कन्हाई ।।
फोड़ दियो पानी को घटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
बांके बिहारी की देख छटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
टेढ़ी नज़रें, लट घुंघराली ।
मार रही मेरे, दिल पे कटारी ।।
और श्याम वरन जैसे कारी घटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
बांके बिहारी की देख छटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
मिलते हैं उसे बांके बिहारी ।
बांके बिहारी, सनेह बिहारी ।।
राधे राधे जिस ने रटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।
बांके बिहारी की देख छटा ।
मेरो मन है गयो लटा पटा ।।