श्री बांके बिहारी जी भोग सेवा
खान – पान के अनेकों व्यंजनों को सुन्दर और शुद्ध रूप से परोस कर उन्हे श्रीठाकुरजी बांके बिहारी लाल को अर्पित एवम् भाव पूर्ण समर्पित करने को भोग कहते हैं। समर्पित भोग ही प्रसाद कहलाता है। जिसमें दूध से बनी विभिन्न सामग्री तथा फल मेवा आदि का भोग रखा जाता है।और जब हमारे उस प्रेम से अर्पण किए हुए भोग को ठाकुर जी ग्रहण करते हैं। तो हमें आत्मसात होता है, कि वह हमसे प्रसन्न हुए, और जहां ठाकुर जी हमसे प्रसन्न हो जाते हैं, फिर हमें और कुछ मांगना या चाहना बाकी ही नहीं रह जाता। क्योंकि किसी ने कहा है कि उनकी तो नजर ही दौलत है। जय हो
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