Braj Yatra ka Sankshipt Parichay

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Brij Chorasi Kos Darshan
Brij Chorasi Kos Darshan

ब्रज यात्रा का संक्षिप्त परिचय

श्री गिरिराज वास में पाऊ, ब्रज तज बैकुंठ ना जाऊं।

प्रिय भगवत प्रेमी वैष्णव जन, सस्नेह राधे राधे!

एक बार श्री नंद बाबा एवं यशोदा जी ने अपने लाड़ले पुत्र श्री कृष्ण से कहा कि हम विश्व के सभी तीर्थों के दर्शन करना चाहते हैं। मातृ पितृ भक्त श्री कृष्ण ने विश्व के सभी तीर्थों को ब्रज चौरासी कोस में बुलाकर स्थापित कर दिया तभी से विश्व के सभी तीर्थ भगवान श्री कृष्ण की भक्ति पाने के लिए ब्रजभूमि में आकर तपस्या करते हैं, ब्रज चौरासी कोस में व्याप्त तीर्थों में शयन, भोजन, भ्रमण, जप, तप, दान आदि पुण्य करने से विश्व के सभी तीर्थों की यात्रा का फल मिलता है। ब्रज चौरासी कोस की यात्रा करने से 84 लाख योनि में भटकना नहीं पड़ता।

Barsana Parikrama Marg
Barsana Parikrama Marg

सर्वप्रथम ब्रज यात्रा ब्रज गोपियों ने श्री कृष्ण के मित्र उद्घव जी को कराई, श्री उद्घव जी ने पौत्र श्री बज्रनाभ जी को ब्रज यात्रा कराई, श्री उद्धव जी ने ही बिदुर जी को ब्रज का दर्शन कराया।

लगभग 500 वर्ष पूर्व जगतगुरु श्रीमद् वल्लभाचार्य महाप्रभु ने ब्रज यात्रा को पुनः प्रारंभ किया।

समस्त ब्रज चौरासी कोस की भूमि भगवान श्री कृष्ण का निज निवास स्थान गौलोक स्वरूप है। प्रभु श्री कृष्ण इस ब्रजभूमि में सदा सर्वदा विराज कर अपने दिव्य लीलाएं करते रहते हैं उन्होंने इसी ब्रजभूमि में अपने दिव्य लीलाओं से अपने प्रेमी भक्तों को आनंद प्रदान कर ब्रजभूमि के महत्व को प्रकट किया है।

Barsana Parikrama
Barsana Parikrama

प्रभु श्री कृष्ण की इन्हीं दिव्य लीलाओं का आनंद प्राप्त करने के लिए ही वैष्णव आचार्यों ने समय-समय पर भगवत स्वरूप इस ब्रज भूमि का दर्शन – स्पर्श एवं यात्राएं की हैं। उसी आचार्य परंपरा का अनुगमन करते हुए हम सभी भक्तों को एक बार पुनः श्री राधा कृष्ण प्रभु के सानिध्य में ब्रज दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है अतः हम सभी इस दिव्य भाव से भावित होकर इस देव दुर्लभ व्रजभूमि का दर्शन लाभ प्राप्त करें एवं अपने सहयोग से दूसरों को प्रेरणा प्रदान करें।

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