Ye Aur Ulajh Jaye Ye Hi Meri Tamanna Hai

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Ye Aur Ulajh Jaye Ye Hi Meri Tamanna Hai
Ye Aur Ulajh Jaye Ye Hi Meri Tamanna Hai

ये और उलझ जाएँ ये ही मेरी तमन्ना है

एक दिन श्यामसुंदर राधाजी के बालों को संवारने लगे, कंघी करते जाएँ पर बाल उलझते जाएँ करते-करते सब बाल आपस म उलझते चले गए उम्मीद नहीं थी की रात तक भी सुलझ जायेंगे। राधाजी की सखियाँ दूर बैठकर हंस रही थी। काफी देर के बाद श्यामसुंदर पसीने से तरबतर हो गए व परेशान दिखने लगे। राधाजी मस्त आँखें बंद किये इस सारे प्रसंग का आनंद ले रही थी। सखियाँ पास आई और बोली, किशोरी जी तुमको पता नहीं चला तुम्हारे बाल उलझ चुके हैं। श्याम सुंदर से सुलझ नहीं रहे। उठो उनसे कंघी वापिस लो और अपने बाल सुलझाओ। ये सुनते ही राधाजी के मुख पर अश्रुबिंदु प्रवाहित होने लगे।

राधाजी बोली अगर श्यामसुंदर इसी तरह चुपचाप प्रेम से मेरे बाल सुलझाते रहे तो मै चाहती हूँ कि, ये मेरे केश सारी उम्र उलझे ही रहे व श्यामसुंदर प्रेम से इन्हें सारी उम्र सुलझाते ही रहे। ये और उलझ जाएँ ये ही मेरी तमन्ना है…!!

!!… जय श्री राधे …!!
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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