यह है राम नाम की महिमा
एक संत रास्ते पर राम का नाम जपते हुऐ जा रहे थे। चलते चलते राम धुन में वह इतना खो गये की वो घने जंगल में जा पहुँचे। जंगल मे बरगद के पेड के नीचे कुछ लोग मदमस्त होकर नाच रहे थे। संत को देख उनका मुखिया बोला रे मानव क्या तुझे अपने प्राणों का जरा सा भी मोह नहीं जो तु चला आया , जानता है हम सब कौन है ? हम सभी प्रेत हैं अथवा मैं इन प्रेतो का राजा हूँ। संत बोले प्रेत राज मैं तो एक संत हूं, मुझे प्राणों का तनिक भी मोह नही पर ये बताओ आप सब नाच क्यों रहे हैं। प्रेतों का राजा बोला मेरी बेटी की शादी के लिये लडका नहीं मिल पा रहा था , पर कल नगर के सेठ का लडका मर जायेगा जो की बढ़ी बिमारी से परेशान है जो कि महाव्याभिचारी भी है उसमें इतने व्यसन हैं कि मरने के बाद वो निश्चय ही प्रेत बनेगा , तो कल मैं उसके मरने के बाद अपनी बेटी की शादी उसके साथ कर दूंगा , इसीलिये हम सब मेरी बेटी की शादी का आनन्द उत्सव मना रहे हैं।
प्रेत राज की बाते सुनकर संत नगर में पहुंचे व पता किया कि किस सेठ का बेटा बिमार है। संत ने वहाँ पहुंच कर देखा कि सेठ का बेटा सच में मरणासन्न अवस्था में पडा है , तो वो वह संत उस सेठ के बेटे के सिर के पास बैठ गये और राम नाम का जाप करने लगे। राम नाम का उच्चारण सुन कर सेठ के बेटे की आंखे खुली तो उसने सोचा शायद ये कोई मंत्र है जिसे उसके पिता उसकी मौत टालने के लिये करवा रहे हैं। पर मौत का वक्त तो निश्चित ही होता जिसे टाला नही जा सकता। जैसे ही सेठ के बेटे की मौत का समय आया तो वेग के कारण उसके मुहं से मरते वक्त राम का नाम निकल गया , जबकि जीतेजी अपने व्यसनों अथवा गलत संगत के कारण उसने कभी राम का नाम नहीं लिया था।
उसके मरते ही संत वहाँ से पुन: उसी जंगल तरफ चल दिये जहां वो बरगद का पेड था। आज की रात वहाँ का नजारा कुछ अलग ही था सभी प्रेत शोक में व्याकुल हो रो रहे थे। संत ने पूछा प्रेतराज अब क्या हुआ , आज तो आप की बेटी की शादी थी , उस नगर सेठ के बेटे की प्रेत आत्मा के साथ फिर आप सब विलाप क्यों कर रहे हो। संत की बात सुन कर प्रेतराज बोला सेठ का बेटा मर तो गया पर मरते समय उसके मुख से राम का नाम लेने के कारण उसे प्रेतयोनि नही बल्कि बैकुण्ठ धाम प्राप्त हो गया। अब मेरी पुत्री की शादी उसके साथ नही हो सकेगी इसीलिये हम सब विलाप कर रहे हैं। वो संत राम नाम जपते हुऐ वहाँ से अन्यत्र कीओर लिये चल पडे।
श्री द्वारिकेशो जयते।
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः