विघ्नेश्वर/विघ्नहर विनायक ओझर
विघ्नेश्वर गणपति मंदिर-अष्टविनायक में सातवें गणेश हैं विघ्नेश्वर गणपति। विघ्नेश्वर गणेश मंदिर पुणे-नासिक हाइवे पर ओझर जिले में जूनर क्षेत्र में स्थित है। यह पुणे-नासिक रोड पर नारायणगावं से जूनर या ओझर होकर करीब 85 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
यह मंदिर कुकड़ी नदीके किनारे पर स्थित हैं। वाया मुंबई – ठाणे – कल्याण – बापसी -सराल्गाव – ओतूर- ओज़र १८२ किमी दूर है। यह मंदिर चारो और से उंची पत्थरकी दिवारोसे घिरा हैं और इसका शिखर सोनेका बना हैं। यहाँ एक दीपमाला भी है, जिसके पास द्वारपालक हैं।

मंदिर तथा मूर्ति
मंदिर चारों पक्षों पर ऊँची पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है और उसका शिखर सोने से निर्मित है। यह मंदिर कुकड़ी नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का मुख पूरब की ओर है और वह पत्थर की मजबूत दीवार से घिरा हुआ है। मंदिर का बाहरी कक्ष 20 फुट लंबा है और अंदर का कक्ष 10 फुट लंबा है।
यहाँ की मूर्ति पूर्वमुखी हैं साथ ही सिन्दूर तथा तेल से संलेपित है, मंदिर में स्थापित मूर्ति की सूँड़ बायीं ओर है और इसकी आँखों और नाभि में हीरे जड़े हैं जो एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। रिद्धि और सिद्धि कि मूर्तियाँ गणेशजी के दोनो तरफ़ रखी हुई हैं। कहा जाता है कि मंदिर का शीर्ष सोने का बना है और इसे चिमाजी अप्पा ने पुर्तग़ाली शासकों को हराने के बाद निर्मित करवाया था।
मंदिर सन 1785 के आस-पास बना था। यह मंदिर पूर्व मुखी हैं और एक मोती पत्थरकी दिवार से घिरा हुआ हैं और यह दिवार इतनी बड़ी हैं के कोई उस पर चल भी सकता हैं।

विघ्नेश्वर/विघ्नहर विनायक कथा
अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर के पीछे भी एक मनोरंजक पौराणिक कथा है। कहा जाता है राजा अभिनंदन ने त्रिलोक का राजा होने के लिए यज्ञ शुरू किया। इस दौरान विध्नासुर राक्षस काफी उत्पात मचा रहा था। विध्नासुर संतों को प्रताणित कर रहा था।
तब ऋषि मुनियों ने विघ्नासुर के वध के लिए गणेश जी से विनती की। गणेश जी ने विध्नासुर के वध की विनती को स्वीकार कर लिए , जब विध्नासुर को यह पता चला तो डर गया और भगवान गणेश की शरण में पहुँच कर अपनी पराजय स्वीकार करते हुए उनसे अभय दान माँगागणेश जी ने उसको अभय प्रदान किया और उससे वचन लिया कि जहां कही भी मेरी पूजा हो रही होगी वह वहां नहीं जायेगा।
विध्नासुर ने वचन दिया किन्तु साथ ही एक आग्रह भी किया कि यहां जब आपकी पूजा हो तो आपके साथ मेरा भी नाम लिया जाए। तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहार के रूप में जाना जाता है। गणपति को विघ्नहर्ता या विघ्नेश्वर का नाम यहीं से मिला। यहाँ के गणेश को श्री विघ्नेश्वर विनायक भी कहा जाता हैं।
नारियल फोड़ने के लिए बिजली से चलने वाली मशीन
मंदिर परिसर में पूजा के लिए हाइटेक इंतजाम है। पहली बार मैंने यहां नारियल फोड़ने के लिए बिजली से चलने वाली मशीन देखी। ये मशीन मंदिर के पीछे परिक्रमा मार्ग पर लगाई गई है। मंदिर के आसपास छोटा सा सुंदर बाजार भी है। यहां खाने पीने की अच्छी दुकाने हैं। आप महाराष्ट्रियन थाली के अलावा दक्षिण भारतीय व्यंजन का भी आनंद ले सकते हैं।
रहने का सुंदर इंतजाम
ओझर में श्रद्धालुओं के रहने का सुंदर इंतजाम है। यहां एक समय में 3000 लोगों के रहने का इंतजाम किया गया है। सबसे कम महज 35 रुपये में श्रद्धालु डारमेटरी सिस्टम में ठहर सकते हैं। वहीं 250 से लेकर 350 रुपये में आप डबल बेड के बेहतर कमरों में ठहर सकते हैं।
महा प्रसाद योजना
मंदिर ट्रस्ट की ओर से रियायती दर पर प्रसाद ( भोजन) का भी इंतजाम है। ये योजना 2004 से चल रही है।समय – 10 से 1 शाम 7.30 से 10.30 तक। अष्ट विनायक के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु के रात्रि ओझर में विश्राम जरूर करते हैं। मंदिर आने वाले श्रद्धालु रंग बिरंगे सजे हुए वाहन में यहां पहुंचते हैं। ऐसा ही बिजली से झालरों से सजा हुआ एक बस हमें यहां मंदिर परिसर में दिखाई दिया। मंदिर के बगल में बहने वाली नदी सुंदर जलाशय का निर्माण करती है। इस जलाशय के निर्मल जल में बोटिंग का भी इंतजाम है।
कैसे पहुंचे
ये मंदिर ककड़ी नदी के मनोरम तट के किनारे स्थित है। नासिक रोड पर जुन्नर से पहले नारायण गांव से ओझर की दूरी 12 किलोमीटर है। नारायण गांव या जुन्नर तक बस से पहुंचे। वहां से निजी ये शेयरिंग वाहनों से ओझर पहुंचा जा सकता है।
जय गणपति बप्पा
जय अष्टविनायक
जय विघ्नेश्वर विनायक
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो ।
श्री कृष्ण शरणम ममः