Thakur Ji Ki Kripa

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Bhagwan Shri Radha Damodar Ji Darshan Vrindavan Mathura
Bhagwan Shri Radha Damodar Ji Darshan Vrindavan Mathura

ठाकुर जी की कृपा

सर्वकाल ठाकुर की मेरे ऊपर बड़ी कृपा है

मात्र यही मन को शान्त करता है पैर मे जूता होने पर काँटे के ऊपर पैर रखने वाले को मालूम है कि मुझे तो कुछ होने वाला नही है, परंतु उससे कहा जाय फूल पर पैर रखने के लिये, तो हो सकता है वो पैर न रख सके।

घर के लोग फूल जैसे हो

बहुत सुख देने वाले हों तो उनका मोह नही छूटता घर मे ही मन फंस जाता है। घर के लोग दुख देने वाले काँटे जैसे हो तो घर से मन हट जाता है। ठाकुर जी जिस स्थिति मे रखे उस स्थिति मे – ठाकुर की कृपा है , जो ऐसा समझता है वही भक्ति कर सकता है, जो ऐसा समझता है कि ठाकुर जी की मेरे ऊपर कृपा नही है वह भक्ति नही कर सकता।

(1) संत एकनाथ जी महाराज कहते हैं
मेरे ऊपर ठाकुर जी की अतिशय कृपा है
घर मे जो मेरी धर्मपत्नी है वह तो सन्त है,
मुझे पाप करने से रोकती है,
क्रोध करने से रोकती है,
भक्ति मे साथ देती है

ठाकुर जी की बङी कृपा है।
(2) संत तुकाराम जी की पत्नी प्रतिकूल है
त्रास देती है, झगड़ा करती है।
तुकाराम जी कहते है –
मेरे ऊपर ठाकुर जी की बड़ी कृपा है
इसीलिये प्रतिकूल पत्नी दी है।
पत्नी सुख दे तो मैं पत्नी के पीछे दौङूगां
ठाकुर जी को भूल जाऊँगा,
पत्नी त्रास दे तो संसार से मन हटा कर ठाकुर जी की भक्ति की ओर मुडूगां
ठाकुर जी कभी बुरा नही कर सकते,
ठाकुर जी जो करते है वे अच्छा ही करते हैं
जिसमे मेरा कल्याण हो

ठाकुर जी की – बडी कृपा है
(3) संत नरसी मेहता की पत्नी का मरण हो गया,
ठाकुर जी ने बड़ी कृपा की
नही तो अन्त काल मे मुझे पत्नी का ही स्मरण होता,
अब घर मे कोई सुनने सुनाने वाला तो रहा नही।
ठाकुर जी और मैं – दोनो आनन्द करेंगे,
भक्त और भगवान दो रहते हैं,
वहीं आनन्द प्रगट होता है,
जब बीच मे कोई तीसरा आता है
तो विध्न पड़ जाता है।

ठाकुर जी की कृपा ही – बडी है
सर्वकाल मन को जो शांत रखेगा वही भक्ति कर सकता है।
मन को शांत रखना महान पुण्य –
और हृदय को जलाना पाप है।
शास्त्रो मे तो यहाँ तक लिखा है –
जो अपने हृदय को जलाता है
उसे ठाकुर के मंदिर जलाने जैसा पाप लगता है,
हृदय मे ही तो ठाकुर जी विराजते हैं।
मन के शान्त रहने पर ही भक्ति हो सकती है।

श्री द्वारिकेशो जयते।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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