ठाकुर श्री मदन मोहन जी और गूजरी का प्रेम
एक गूजरी रोजाना मदन मोहन जी करौली वालो के मदिर मे दूध देने आया करती थी। लोभवश वह दूध मे पानी मिलाया करती थी। किनतु मदन मोहन जी का उस गूजरी का आपस मे बडा पे्म था। एक दिन गूजरी ने दूध मे किसी बावडी का पानी मिलाया और भागयवश उसमे मछली आ गई। जब गुसॉई जी ने मछली देखी तो गूजरी को फटकार लगाते हुए दूध देने की सेवा से हटा दिया। गूजरी ने दो दिन मदन मोहन जी के दर्शन वियोग मे कुछ नही खाया और रोते रही।
तीसरे दिन सुबह मदन मोहन जी उसके घर पहुच कर दूध मांगते हुऐ कहने लगे मै यदि दूध पीयूँगा तो सिर्फ तुम्हारा लाया हुआ ही पीयूँगा और बात के बीच ही गुसॉई जी ने मदिंर मे उतथापन की घटीं बजा दी। मदन मोहन जी भागने के उपक्म् मे अपना पीताबरं वही छोड कर गूजरी की ओढनी लपेट कर मदिरं मे खडे हो गये। जब गुसॉई जी ने ठाकुर जी का दर्शन किया तो आनदं विभोर हो कर पूछने लगे की आप यह ओढनी़ किसकी ले आये है।
तभी वह गूजरी भी ठाकुर जी का पीताबरं लिये मदिरं मे पहुच गई। अब गुसॉई जी को भक्त और भगवान की इस पेम् लीला को समझने मे समय नही लगा। तभी ठाकुर जी ने गुसॉई जी को आदेश किया की यह गूजरी मुझे बहुत अधिक प्रिय है। यह रोज मेरे दर्शन को मदिंर मे आनी चाहिये तब से आज भी गूजरी की याद मे मदन मोहन जी को काली ओढनी धारण करवायी जाती है।
जय श्री कृष्ण
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः