Shri Vishwakarma Katha

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Bhagwan Vishwakarma

श्री विश्वकर्मा कथा

सूतजी बोले,प्राचीण समय की बात है,मुनि विश्वमित्र के बुलावे पर मुनि और सन्यासी लोग एक स्थान पर एकत्र हुए सभा करने के लिये। सभा मे,मुनि विश्वमित्र ने सभी को संबोधित किया। मुनि विश्वमित्र ने कहा कि,हे मुनियों आश्रमों में दुष्ट राक्षस यज्ञ करने वाले हमारे लोगों को अपना भोजन बना लेते,यज्ञों को नष्ट कर देतें है। जिसके कारण् हमारें पुजा-पाठ,ध्यान आदि में परेशानी हो रही है। इसलिए अब हमे तत्काल् उनके कुकृत्यों से बचने का कोई उपाय अवश्य करना चाहिए।

मुनि विश्वमित्र की बातों को सुनकर वशिष्ठ मुनि कहने लगे कि एक बार पहले भी ऋषि-मुनियों पर इस प्रकार का संकट आया था । उस समय् हम् सब मिलकर ब्रह्माजी के पास गये थें। ब्रह्माजी ने ऋषि मुनियों को संकट से छुटकारा पाने के लिए उपाय बताया था।। ऋषि लोंगों ने ध्यानपूर्वक वशिष्ठ मुनि कि बातों को सुना और कहने लगे कि वशिष्ठ मुनि ने ठीक ही कहा है, हमें ब्रह्मदेव् के ही शरण में जाना जाना चाहिये।

ऐसा सुन सब ऋषि-मुनियों ने स्वर्ग को प्रस्थान किया। मुनियों के इस प्रकार कष्ट को सुनकर ब्रह्मा जी को बडां आश्चर्य हुआ,ब्रह्मा जी कहने लगे कि,हे मुनियों राक्षसों से तो स्वर्ग मे रहनें वाले देवता को भी भय लगता रहता है। फिर मनुष्यों का तो कहना ही क्या जो बुढापे और मृत्यु के दुखों में लिप्त रहतें हैं। उन राक्षसों को नष्ट करने में श्री विश्वकर्मा समर्थ है,आप लोग् श्री विश्वकर्मा के शरण में जाएँ। इस समय पृथ्वी पर अग्नि देवता के पुत्र मुनि अगिरा यज्ञों में श्रेष्ठ पुरोहित हैं, और जो श्री विश्वकर्मा के भक्त है।

वही आपके दुखों को दुर कर सकते हैँ,इसलिए हे मुनियों,आप उन्ही के पास जायें। सूतजी बोलें,ब्रह्मा जी के कथन के अनुसार मुनि लोग अगिंरा ऋषि पास गयें। मुनियों की बातों को सुनकर अगिंरा ऋषि ने कहा, हे मुनियों आप लोग क्यों व्यर्थ् मे इधर-उधर मारे-मारे फिरते रहें है। दुखों को दुखों दुर करने मे विश्वकर्मा भगवान के अतिरिक्त और कोई भी समर्थ नही है।

अमावस्या के दिन,आप लोग अपने साधारण कर्मों को रोक कर भक्ति पूर्वक “श्रीविश्वकर्मा कथा” सुनों उनकी उपासना करो। आपके सारे कष्टों को विश्वकर्मा भगवान अवश्य दुर करेंगे। महर्षि अगिंरा के बातों को सुनकर सभी लोग अपने-अपने आश्रमों को चले गये। तत्प्रश्चात् अमावस्या के दिन,मुनियों नें यज्ञ किया। यज्ञ में विश्वकर्मा भगवान का पूजन किया। “श्री विश्वकर्मा कथा” को सुना। जिसका परिणाम यह हुआ कि सारे राक्षस भस्म हो गए। यज्ञ विघ्नों से रहित हो गया,उनकें सारे कष्ट दुर हो गयें। जो मनुष्य भक्ति-भाव् से विश्वकर्मा भगवान की पूजा करता है,वह सुखों को प्राप्त करता हुआ संसार में बङे पद को प्राप्त करता है।

जय श्री विश्वकर्मा।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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