श्री रंगदेव जी मंदिर में पवित्रोत्सव वृंदावन
श्री रंग मंदिर वृंदाबन का पवित्रोत्सव आज सिंह संक्रांति की पूर्णमासी से प्रारम्भ होकर कृष्ण पक्ष की सप्तमी ( 10 सितम्बर से 17 सितम्बर)तक मनाया जाएगा। साल भर में भगवान की सेवा में जितनी भी त्रुटियाँ रह जाती हैं उनकी शांति और शुद्धिकरण के लिए पवित्रोत्सव या यज्ञोत्सव किया जाता है। श्री भगवान स्वयं पवित्र हैं तथापि अपनी पवित्रता हेतु वह श्री लक्ष्मी जी का आश्रय लेते हैं ।
हरिद्रा या हल्दी लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं और अत्यंत मंगल कारी भी इसलिए भगवान हल्दी से भीगी हुई सूत की मालाएँ( पवित्रा) तथा हल्दी से रंगे हुए कपास या रेशम के वस्त्र पहन कर स्वयं यजमान बन कर यज्ञ करते हैं। इन सात दिनों में वह अन्य कोई आभूषण धारण नहीं करते। श्री रंग मंदिर में चतुष्कुंडों में सात दिनों तक प्रातः और साँयकाल यज्ञ सम्पन्न किए जाते हैं।
चतुश्स्थान सेवा भी की जाती है जिसमें भगवान का बिम्ब, कुम्भ, चक्र मंडल और अग्नि जनित यज्ञ कुंड की सेवा होती है। इस यज्ञ में भगवान ही यजमान हैं, वही पदार्थ हैं, यज्ञ भी स्वयं हैं और यज्ञ के भोक्ता भी वही हैं। अलग अलग द्रव्यों से यज्ञ का हवन होता है जिसमें जौ, तिल, धान, घी, सम्विधा, गेहूं, चंदन काष्ठ, अगर काष्ठ , खील इत्यादि होते हैं। सातवें दिन पूर्णाहुति होती है जिसमें अग्नि कुंड से चक्र मंडल , चक्र मंडल से कुम्भ और कुम्भ से भगवान के बिम्ब में शक्ति सन्निहित कर दी जाती है। भगवान की धारण की हुई पवित्र माला भक्तों में वितरित की जाती है जिसका बहुत महत्व है ।
इस दौरान अन्य कोई और उत्सव नहीं मनाए जाते। यह यज्ञ चातुर्मास में किया जाता है। पवित्रोत्सव यज्ञ के समय श्री दिव्य प्रबंध , श्री विष्णु सहस्रनाम, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण और चारों वेदों का पाठ अनवरत चलता रहता है। आप सभी भक्तों जनों का दर्शनार्थ हार्दिक स्वागत है।
जय श्री मन नारायण।