Pyaar Ka Anand

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Govind Devji Temple
Govind Devji Temple

प्यार का आनन्द

एक तितली मायूस सी बैठी हुई थी। पास ही से एक और तितली उड़ती हुई आई। उसे उदास देखकर रुक गई और बोली – क्या हुआ ? उदास क्यों इतनी लग रही हो ?
वह बोली – मैं एक फूल के पास रोज जाती थी। हमारी आपस में बहुत दोस्ती थी। बड़ा प्रेम था। पर अब उसके पास समय ही नहीं है मेरे लिए। वह तो बहुत व्यस्त हो गया है।
दूसरी तितली बोली – वह व्यस्त हो गया है तो तेरे पास तो समय है न तू तो जा सकती है। तू गई ?, मैं क्यों जाऊँ ? जब अब उसे मेरी ज़रूरत नहीं में क्यों जाऊँ ?
तितली बोली – पगली ! तू कैसे कह सकती है कि उसे तेरी ज़रूरत नहीं। अनुमान क्यों लगाती है ?, क्या पता वह तेरा ही उस भीड़ में इंतज़ार करता हो। तितली के आँसू निकल आए। उसने अपनी सखी को गले लगाया और गई अपने मित्र से मिलने।
फूल बोला – कहाँ रही इतने दिन ! मेरा बिल्कुल मन नहीं लगा तुम्हारे बिन !! कहाँ थी ??, तितली मुस्कुराई और बोली कहीं नहीं रास्ता गुम हो गया था।

प्रेम लेने का मन करे तो प्रेम दो। किसी से बात करने का मन करे तो बात कर लो। दूसरे का इंतज़ार न करो। कुछ पता नहीं दूसरा भी इंतज़ार कर रहा हो। जो सुख प्रेम देने में है वो प्राप्त करने में नही देने वाले के पास प्रेम बढ़ता है उनके प्रेम के इंतज़ार में नहीं, अपितु उनसे लाड प्यार करने में समय व्यतीत करो। प्यार देने में अलग ही आनन्द है.. और प्यार लेने में अलग।

बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः

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