भजन: प्रेम वाली गली विच्चो कोई कोई लंगदा
प्रेम वाली गली विच्चो कोई कोई लंगदा।
ओहो लंगे जेड़ा तेरे रंगा विच रंग दा।।
लज्जो दी लाज बचा लिती, ध्यानु नाल धर्म कमाया सी,
जद बनिये ते विपदा आई, माँ उस नू आन बचाया सी,
दुते दा विश्वास देखके, मुगलां शीश झुकाया सी,
नुह नुह इसदा बोलिया सी जो, गली तेरी जो आया सी,
प्रेम वाली गली विचों कोई कोई लंग दा…..
जो इहना राहवा ते चलिया, उसदा तूँ मान वधाया माँ,
हिरणाकश्यप दा मान तोड़ेया, नरसिंह रूप वटाया माँ,
देख के भक्ति ध्यानु लाल दी, कट्यां शीश मिलाया माँ,
सदके जांवा श्री धर जी दे, जिहना ने तैनू पाया माँ,
प्रेम वाली गली विच्चो कोई कोई लंग दा……
धन्ने ने ध्यान लगा तेरा, गंदलां दा साग ख़्वाया सी,
प्रेम नेम रसखान दा गिरधर, बालक रूप बनाया सी,
नरसिंह दी जद हुंडी तारी, सावन शाह बन आया सी,
जहर पियाला पिंदया मीरा, सब नू आप सुनाया सी,
प्रेम वाली गली विचों कोई कोई लंग दा…..