प्रेम करते रहो मै तो तुम्हे स्वयं मिल जाऊंगा
एक व्यक्ति बहुत नास्तिक था उसको भगवान पर विश्वास नहीं था। एक बार उसके साथदुर्घटना घटित हुई वो रोड पर पड़ा पड़ा सबकी ओर कातर निगाहों से मदद के लिए देख रहा था। पर कलियुग का इंसान – किसी इंसान की मदद जल्दी नहीं करता, मालूम नहीं क्यों, वो येही सोच कर थक गया । तभी उसके नास्तिक मन नेअनमने से प्रभु को गुहार लगाई उसी समय एक ठेले वाला वह से गुजरा उसने उसको गोद में उठाया और चिकित्सा हेतु ले गया उसने उनके परिवार वालो को फ़ोन किया और अस्पताल बुलाया सभी आये उस व्यक्ति को बहुत धन्यवाद दिया उसके घर का पता भी लिखवा लिया जब यह ठीक हो जायेगा तो आप से मिलने आयेंगे।
वो सज्जन सही हो गए कुछ दिन बाद वो अपने परिवार के साथ उस व्यक्ति से मिलने का इरादा बनाते है और निकल पड़ते है मिलने। वो बाके बिहारी का नाम पूछते हुए उस पते पर जाते है उनको वहा पर प्रभु का मंदिर मिलता है, वो अचंभित से उस भवन को देखते है, और उसके अन्दर चले जाते जाते है। अभी भी वहा पर पुजारी से नाम लेकर पूछते है की यह बाके बिहारी कहा मिलेगा – पुजारी हाथ जोड़ मूर्ति की ओर इशारा कर के कहता है की यहाँ यही एक बाके बिहारी है | खैर वो मंदिर से लौटने लगते है तो उनकी निगाह एक बोर्ड पर पड़ती है उसमे एक वाक्य लिखा दिखता है -कि
इंसान ही इंसान के काम आता है, उस से।
प्रेम करते रहो मै तो तुम्हे स्वयं मिल जाऊंगा।।
बोलिये वृन्दावन बिहारी लाल की जय।
जय जय श्री राधे।
श्री राधा- कृष्ण की कृपा से आपका दिन मंगलमय हो।
श्री कृष्ण शरणम ममः