श्राद्ध कर्म प्रारम्भ होने की तिथि 5 सितंबर 2017(मंगलवार) से 19 सितंबर 2017(मंगलवार)
यह पितृ पक्ष का समय पुरे वर्ष में सिर्फ एक बार आता है। यह पितरो की आराधना और पूजन तर्पण आदि करके पितरों की प्रसन्नता प्राप्ति हेतु उत्तम समय होता हैं। इस श्राद्ध पक्ष में सभी लोग यथाज्ञान पितरों को प्रसन्न करने हेतु प्रयास भी करते है। यह 16 दिवसीय महालय श्राद्ध पक्ष कहलाता है। इस समय में सूर्य देव कन्या राशि में स्थित होते हैं। इस अवसर पर चंद्रमा भी पृथ्वी के काफी निकट होते है। चंद्रमा या चंद्रलोक के थोड़ा ऊपर पितृलोक माना गया है। सूर्य रश्मियों पर सवार होकर पितृ पृथ्वी लोक में अपने पुत्र-पौत्रों के यहां आते हैं तथा अपना भाग लेकर शुक्ल प्रतिप्रदा को सूर्य रशिमों पर सवार होकर फिर वापस अपने लोक लौट जाते हैं।
05 सितम्बर (मंगलवार) पूर्णिमा श्राद्ध
06 सितम्बर (बुधवार) प्रतिपदा श्राद्ध
07 सितम्बर (बृहस्पतिवार) द्वितीया श्राद्ध
08 सितम्बर (शुक्रवार) तृतीया श्राद्ध
09 सितम्बर (शनिवार) चतुर्थी श्राद्ध
10 सितम्बर (रविवार) महा भरणी, पञ्चमी श्राद्ध
11 सितम्बर (सोमवार) षष्ठी श्राद्ध
12 सितम्बर (मंगलवार) सप्तमी श्राद्ध
13 सितम्बर (बुधवार) अष्टमी श्राद्ध
14 सितम्बर (बृहस्पतिवार) नवमी श्राद्ध
15 सितम्बर (शुक्रवार) दशमी श्राद्ध
16 सितम्बर (शनिवार) एकादशी श्राद्ध
17 सितम्बर (रविवार) द्वादशी श्राद्ध, त्रयोदशी श्राद्ध
18 सितम्बर (सोमवार) मघा श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
19 सितम्बर (मंगलवार) सर्वपित्रू अमावस्या